रचना की चूत की खुजली (Rachna Ki Chut Ki Khujli)


अन्तर्वासना के सभी मित्रों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.. मेरा नाम लव पांडे है.. मेरी उम्र 32 साल.. कद 6 फीट.. कसरती बदन.. रंग गोरा.. दिखने में आकर्षक हूँ।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो कि करीब 4 साल पहले की है।
उस वक्त मैं एक दिल्ली में एक कनसल्टिंग फर्म में नौकरी करता था और मेरी टीम में 5 लड़कियाँ थीं.. जो मुझे रिपोर्ट करती थीं..
वैसे सभी सुंदर थीं.. पर रचना की बात ही अलग थी.. उसका कद 5.6 फिट था.. रंग थोड़ा सांवला.. छरहरा बदन और बोलने में बहुत सॉफ्ट और स्वीट.. जो भी देखे और बात करे.. बस फिदा हो जाए।
यह बात तब की है.. जब मैं 7 दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव गया था और जब मैं वापस आया तो ऑफिस में रचना के साथ पर कम्युनिकेटर पर चैट कर रहा था।
उसने बताया- मैंने इन 7 दिनों में आपको बहुत मिस किया।
फिर क्या था.. मुझे मौका दिखा और मैंने भी पूछ लिया- क्यों.. क्या तुम मुझे इतना पसंद करती हो?
तो उसने कहा- हाँ.. शायद आपको बता नहीं सकती.. कि मैं आपको कितना प्यार करती हूँ।
फिर क्या था दोस्तो, मैंने कहा- आज तुम्हारा रिव्यू है.. तुम शाम को रुक जाना.. फिर आराम से बात होगी।
लंच टाइम में मैंने कहा- आज सबका रिव्यू होगा।
लंच के बाद में मैं एक-एक करके.. सबका रिव्यू करने लगा और जानबूझ कर मैंने रचना का रिव्यू सबसे अंत में रखा।
जब उसका नंबर आया तो 6.3 बज चुके थे और सबके घर जाने का समय हो गया था।
तब मैंने सबको जाने को कह दिया और रचना को कहा- तुम रिव्यू के बाद जाना..
उसने ‘हाँ’ कह दी।
अब मैंने ऑफिस ब्वॉय से ऑफिस की चाबी ले ली और उसे भी जाने को कह दिया।
सबके चले जाने के बाद मैंने रचना से ऑफिस का दरवाजा बंद करने को कहा और उसे अपने पास बुला लिया।
फिर मैं उससे बात करने लगा.. मैंने उससे पूछा- हाँ.. अब बताओ कि मुझे कितना मिस किया?
वो शर्माने लगी.. तो मैं उठ कर उसके पास गया.. उसने मेरी तरफ देखा और उठ कर मुझे गले से लगा लिया। मैंने भी उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
अब मैं उसके गुलाबी पतले होंठों को किस करने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसके 30D नाप के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
हमारा किस.. अब ‘फ्रेंच-किस’ में तब्दील हो चुका था और वो भी अब गरम होने लगी थी।
मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने 7 इंच के खड़े लंड पर रख दिया.. जिसे वो अब सहलाने लगी।
फिर मैंने उसके टॉप को निकाल दिया और साथ में अपनी शर्ट भी निकाल दी।
अब वो ब्रा में थी और मैं बनियान में था।
मैंने उसे उठा कर टेबल पर बिठा कर उसकी ब्रा भी निकाल दी।
ब्रा के खुलने से उसके दोनों कबूतर एकदम से उछल कर खुली हवा में मुझे चैलेन्ज देने लगे।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और निप्पलों को अपने होंठों से.. तो कभी दाँतों से काट कर चूसने लगा।
इसी के साथ मैं अपना एक हाथ उसकी स्कर्ट में ले जाकर उसकी बुर को सहलाने लगा और वो मेरा सर अपने मम्मों में दबाते हुए मेरा साथ दे रही।
मैं उसके पेट पर चुम्बन करता हुआ उसकी नाभि पर आया और उसकी नाभि को अपनी जीभ से सहलाने लगा और उसमें अपनी जीभ की नोक से उसे उकसाने लगा।
वो एकदम से सिसक उठी।
फिर मैं किस करता हुआ उसकी कमर तक आया और उसकी स्कर्ट निकाल दी उसी के साथ में मैंने उसकी चड्डी भी खींच कर उतार दी।
अब वो एकदम नंगी थी.. मैं लगातार किस करता हुआ उसकी चूत पर जाकर.. जो एकदम सफाचट चिकनी थी.. उसे किस करने लगा।
उसने अपने पैर फैला दिए और मैं चूत के होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
फिर मैंने उसकी चूत को अपनी ऊँगली से फैला कर.. उसमें अपनी जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चूत से निकलते मदन-रस को चाटने लगा और वो अब एकदम गरम हो चुकी थी।
मैंने भी अपनी पैन्ट और अंडरवियर को निकाल दिया। अब तक मेरा लंड भी पूरी लंबाई लेकर फूल गया था अब ये बहुत मोटा और एकदम लोहे सा सख्त हो चुका था।
जैसे ही उसने मेरे लवड़े का साइज़ देखा.. तो वो एकदम से डर गई।
मैंने भी मौके की नज़ाकत को समझते हुए उससे कहा- डरो मत.. बस एक बार दर्द होगा.. फिर नहीं..
वो चूंकि बहुत गर्म हो चुकी थी.. तो उसने मेरा विश्वास कर लिया और चूत की खाज मिटवाने के लिए मान गई।
फिर क्या था.. किला सामने था और मैंने भी अपने घोड़े को लगा दिया.. उसी की चूत के मुहाने पर.. और लौड़े को एक एड़ सी लगा दी..
चूंकि उसकी चूत टाइट थी.. सो पहले हमले में मेरा लंड फिसल गया.. और दूसरी बार हाथ से लौड़े को पकड़ कर निशाने पर सैट करते हुए एक करारा धक्का दिया.. तो मेरा लंड 2 इंच उसकी चूत में चला गया।
उसकी दर्द से आँखें फैलने लगी ही थीं और वो चीखती.. इससे पहले ही मैंने बिना रुके 2-3 झटके के साथ मेरा पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
जब तक वो चीख पाती.. तब तक मेरा पूर लंड उसकी चूत में घुस चुका था। मेरा हाथ उसके मुँह पर था और वो छटपटाने लगी। उसकी आँख से आँसू आ गए।
फिर मैं उसे किस करता हुआ.. अपना लंड उसकी चूत में गोल-गोल घुमाने लगा.. कुछ ही पलों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा।
फिर दोबारा जब मैंने अपने घोड़े को एड़ लगाई.. तो फुल स्पीड में लंड अन्दर-बाहर होने लगा।
ऑफिस में सिर्फ हम दोनों की मादक सिसकियों की आवाजें गूँजने लगीं और ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाजों के साथ पूरा माहौल गूँजने लगा।
इसी बीच वो दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी और निढाल होकर मुझसे दम से चुदवा रही थी।
करीब 20 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मेरा माल उसकी चूत में गिर गया।
झड़ने के बाद हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए और कुछ देर बाद हम दोनों ने अलग होकर कुछ देर प्यार मुहब्बत की बातें कीं।
फिर इसके बाद वो मेरी पक्की सैटिंग बन चुकी थी.. और हमने कई बार चुदाई की।
दोस्तो, मेरी सच्ची कहानी आपको कैसी लगी.. जरूर बताइएगा। आपके जवाब मिलने के बाद मैं अपनी अगली कहानी भी आपके साथ साझा करूँगा.. जो कि फरीदाबाद में हुई थी।

मेरे लण्ड का नसीब -4 (Mere Lund Ka Naseeb-4)

अब तक आपने पढ़ा..

मोनिका के पति ने कहा- आप समाज के सामने ये शादी मत करना। आप सिर्फ उसके साथ शारीरिक संबंध बना कर उसे औरत बना दीजिए और हमें बदनामी से बचा लीजिए।
मैंने उसे चुप करवाया और मोनिका से कहा- आप दूसरे कमरे में चली जाओ.. मैं इनसे अकेले में बात करना चाहता हूँ।
तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मैंने अपने लैपटाप का कैमरा चालू कर दिया और आकर उसके पास बैठ गया। मैंने कहा- मुझे अपना भाई समझो.. और पूरी बात खुलकर बताओ।
उसने वही बात फिर से कही तो वो पूरी बात मेरे लैपटाप में रिकार्ड होती चली गई.. जिसे मोनिका भी छुप कर देख रही थी।
मोनिका के पति ने कहा- आप एक तरह मोनिका के पति ही रहोगे और वो आपकी पत्नी बनकर रहेगी।
मैंने कहा- मैं आपकी सारी बात मानने को तैयार हूँ.. लेकिन मेरी कुछ शर्तें है। अगर आप मानो तो मैं तैयार हूँ।
उसने कहा- मैं आपकी सारी शर्तें मानने को तैयार हूँ।
अब आगे..
उसी वक्त मैंने मोनिका को आवाज लगाई और मोनिका तो जैसे बाहर आने को मचल रही थी.. वो तुरंत मेरे सामने आ गई।
मोनिका मेरे सामने अपने पति के पास बैठने लगी तो मैंने कहा- मोनिका तुम इधर आओ.. मेरी गोद में बैठो.. अब तुम्हारे पति को मुझसे कोई परेशानी नहीं है। ये खुद ही चाहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ पति वाला व्यवहार करूँ..
मोनिका एक पल के लिए हिचकी तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खीचते हुए उसके पति से ज़रा बेशर्मी दिखाते हुए कहा- क्यों.. ठीक कह रहा हूँ न मैं श्रीमान जी.. अब तो मैं मोनिका को तुम्हारे सामने चोद भी सकता हूँ न?
मोनिका एकदम से सकुचा गई थी और उसका गांडू पति मेरे सामने सर झुकाए बैठा रहा।
उसने सर झुकाए हुए ही कहा- प्लीज़ मुझे जलील मत करो आप मोनिका के साथ ‘सब कुछ’ कर सकते हैं..।
मैंने कहा- मैं तुम्हें जलील नहीं कर रहा हूँ मेरा आशय सिर्फ इतना सा है.. जो तुमने मुझसे अकेले में कहा था… तुम वो सब एक बार मोनिका के सामने भी कह दो.. ताकि यह पूरा मामला हम सब के बीच खुल्लम-खुल्ला हो सके और मोनिका भी अपनी जिन्दगी को पूरी स्वछन्दता से जी सके!
मेरी बात सुन कर उसके पति ने अपना सर ऊपर उठाया और मोनिका से कहा- मोनिका अब तुम मेरे साथ पत्नी धर्म निभाते हुए राहुल के साथ अपने जिस्मानी रिश्ते कायम रख सकती हो और मैं तो यह भी चाहता हूँ कि तुम राहुल के बच्चे की माँ बन जाओ ताकि समाज में मेरी इज्जत बनी रह सके।
मोनिका के चेहरे पर एक ख़ुशी झलक रही थी उसने कहा- थैंक्स डियर मैंने अभी तक राहुल से सिर्फ दोस्ती ही की थी और ये तो राहुल का बड़प्पन था कि मेरे पूर्ण समर्पण के बाद भी उसने मेरे जिस्म को भोग नहीं किया है..
तभी मैंने मोनिका के दूध मसकते हुए कहा- ओए चिकनी.. मेरी जान.. अब मेरी सज्जनता बहुत हो गई.. अब तो मुझे तुम्हारे पति ने खुली छूट भी दे दी है। अब तो आज तुम अपने पति के सामने ही खुल जाओ.. क्योंकि आज तो चुदाई की पार्टी तीनों मिल कर ही करते हैं। क्यों पतिदेव जी.. क्या ख्याल है.. आ जाओ.. सब साथ में ही खेल खेलते हैं..
मोनिका का पति मुस्कुरा कर बोला- हाँ राहुल जी आप मेरे सामने ही मोनिका को चोद दो ताकि इसकी सारी शर्म और झिझक निकल जाए।
इतना सुनते ही मैंने मोनिका के होंठों को अपने होंठों में भर लिए और उसके मम्मों को मसकते हुए उसके होंठों का रस पीने लगा।
अब मोनिका ने भी मेरा पूरा खुल कर साथ देना शुरू कर दिया था।
मैंने देखा कि उसके पति ने अपने सामने ही अपनी बीवी की चुसाई शुरू होते देखी तो उसकी उत्तेजना भी भड़कने लगी और उसने अपने लौड़े पर हाथ फिराना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे और मोनिका के कपड़े प्याज के छिलकों की तरह उतरते चले गए और कुछ ही देर में हम दोनों पूर्णतया नग्न हो कर अपनी काम-लीला में लिप्त हो गए।
वो पूर्ण नग्न होकर किसी हूर से कम नहीं लग रही थी मैं उसे कामुक निगाहों से देखने लगा और उसके सामने अपने लौड़े को हिलाने लगा।
मोनिका ने लाज से अपनी आँखें नीचे कर लीं और वो मेरे सीने से लिपट कर अपनी लज्जा छुपाने लगी। मैंने उसे अपने से थोड़ा दूर किया।
अब मैंने मोनिका के मम्मों को अपने होंठों में चूमा और मम्मों पर अपने होंठों को फिराते हुए उसके दोनों मम्मों के मध्य में अपनी जीभ की नोक को फिराया तो मोनिका के मुँह से मादक सीत्कार फूट पड़ी।
मेरी इस हरकत से मोनिका की चुदास भड़क उठी और उसने बिना हाथ से अपने मम्मों को पकड़े अपना एक दूध का निप्पल मेरे मुँह की तरफ बढ़ा दिया और मैंने भी उसकी आँखों में देखते हुए उसके निप्पल को अपने अधरों के बीच पकड़ लिया।
उसकी और मेरी नजरें मानो एक-दूसरे की आँखों से चुद रही थीं और मेरे होंठों में दबा हुआ उसका गुलाबी निप्पल उसकी चूत में एक सुरसुरी कर रहा था।
मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ से लगाया और दूसरा हाथ उसके दूसरे मम्मे पर धर दिया।
ज्यों ही उसका दूसरा दूध मैंने जोर से दबाया उसकी मादक सिसकारी निकल पड़ी- आह्ह.. धीरे से करो न.. लगती है न..
मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसके उठे हुए चूतड़ों पर फिराया तो मेरा लवड़ा उसकी चूत से स्पर्श होने लगा.. जिससे मोनिका को खड़े लण्ड का मस्त अहसास होने लगा और उसने बरबस ही अपने हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ लिया।
उसके हाथों का स्पर्श पा कर मेरे खड़े लौड़े ने एक अंगड़ाई सी ली और उसने अपनी प्रिय गुफा में घुसने की जद्दोजहद आरम्भ कर दी।
मैंने मोनिका को अपने सीने से चिपका लिया तो मोनिका ने मेरे कान में चुदास भरे स्वर में कहा- क्यों तरसा रहे हो.. अब पेल भी दो न.. कब से भूखी हूँ।
मैंने मोनिका को अपने सीने से लिपटाए हुए ही उसके दोनों चूतड़ों पर अपने हाथों को लगाया और जैसे ही मैंने उसको चूतड़ों के बल उठाने की कोशिश की, वो तो जैसे समझ चुकी थी फट से अपनी बाहों को मेरे गले में बांधती हुई और मेरी कमर के दोनों तरफ पैर डाल कर मुझसे झूल गई..
मैं उसको अपनी कमर पर लटका कर बिस्तर की तरफ ले गया.. और बिस्तर के नजदीक रखी मेरी स्टडी टेबल देख कर मैं उसको बजाए बिस्तर के टेबल पर टिका कर चोदने की सोची।
मोनिका के चूतड़ों को मैंने टेबल के किनारे से लगाया और उसके होंठों को चूसने लगा। उधर मोनिका ने भी चूतड़ों को आधार मिलता देखा तो उसने अपने एक हाथ को मेरी गर्दन से अलग किया और लौड़े को चूत की रास्ता दिखा दी।
हम दोनों ही चुदास की आग में जलने लगे थे तो रस से सराबोर चूत ने मेरे लौड़े को तुरंत रास्ता दे दी.. लेकिन अभी मोनिका कुँवारी थी उसकी चूत ने सुपारे को ही अन्दर लिया था कि एक जोर की दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ी।
मैं उसकी दर्द भरी सिसकारी को अनदेखा करते हुए लौड़े को उसकी चूत के अन्दर घुसेड़ता चला गया।
उसकी सिसकारी चीख में तब्दील होती.. उससे पहले ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों का ढक्कन लगा दिया था।
उसके मुँह से ‘गूं..गूं..’ की आवाज निकल कर रह गई।
मैंने अपने आधे पेवस्त हुए लौड़े को कुछ पलों के लिए रोका और फिर लौड़े के उतने ही हिस्से को चूत से बाहर खींच कर फिर से अन्दर कर दिया। यह काम बहुत ही धीमी गति से किया तो उसकी चूत को अधिक दर्द नहीं हुआ.. बस वो सहन करती रही और कुछ ही धक्कों में उसकी ‘गूं.. गूं..’ कम हुई व उसने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.. जिससे मुझे समझ आ गया कि इसका दर्द अब ठीक है।
अबकी बार मैंने लौड़े को बाहर निकाला और एक अपेक्षाकृत तेज धक्का मार दिया.. जिससे मेरा लौड़ा उसकी चूत की जड़ तक धंसता चला गया। इसी के साथ मैंने उसके होंठों को भी जकड़ लिया था.. जिससे उसके दर्द को चीख में बदलने से रोकने का काम भी बखूबी हो गया।
अब वो तड़फने लगी थी पर मैं अपनी मजबूत बांहों में उसको अपनी पूरी ताकत से समेटे हुए था। मैंने उसकी चूचियों को अपने सीने से दबा लिया था.. जिससे वो मेरे जिस्म से एक तरह से भिंची हुई थी और मेरा दिल उसके दिल की धड़कनों को बिल्कुल चिपक कर महसूस कर रहा था।
मुश्किल से 30-40 सेकंड में ही उसकी तड़फ कम होने लगी और एक बार वो फिर से मुझे चूमने लगी।
बस अब मैंने भी अपने लण्ड को चूत की गहराइयों से बाहर निकाल कर फिर से उसको चूत में गोता लगाने के काम पर लगा दिया।
कुछ ही धक्कों में चूत भी चूतड़ों का सहारा लेकर लौड़े से लड़ने लगी और मैंने पाया कि अब मोनिका फिर से अपनी बाँहों को मेरी गर्दन से लपेट कर मुझसे लगभग झूल सी गई थी।
मैंने भी उसके चूतड़ों को सहारा दिया और उस फूल से भार वाली मोनिका को टेबल की बजाय अपनी गोद में उठा कर हचक कर चोदना शुरू कर दिया।
मोनिका भी अपनी कमर को मेरे लौड़े पर बेताबी से रगड़ने लगी और हमारी चुदाई अपनी मंजिल की तरफ बढ़ चली।
कुछ 5-7 मिनट में ही मोनिका ने अपने धक्कों को तेज कर दिया था और वो कुछ अकड़कर सख्त सी होती महसूस हुई.. तो मैंने उसके चरम पर पहुँचने की स्थिति को समझ लिया और उसको पुनः टेबल पर टिका दिया।
जब तक मैं उसको टेबल पर टिकाता तब तक उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था।
वो एक बहुत जोर की ‘आह्ह..’ के साथ चीखी और मुझसे लटक कर ढीली पड़ती चली गई।
मैंने अपने लौड़े पर उसके गरम पानी को महसूस किया और साथ ही मेरे धक्कों के साथ रस के कारण ‘छपछप’ की आवाजें आने लगीं.. जिससे मेरा लौड़ा भी अब पिघलने को था।
मैंने उसको अपने अन्दर समेट सा लिया और उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दिया।
कुछ पलों के लिए हम दोनों एक-दूसरे से बहुत जोर से चिपके रहे।
मोनिका के साथ मेरी चुदाई अपनी पूर्णता पा चुकी थी।
उसका पति हमें अजीब सी निगाहों से देख रहा था।
कुछ वक्त बाद हम अलग हुए तो देखा कि मोनिका की सील टूटने के कारण खून की कुछ बूँदें टेबल पर लग गई थीं। हमने एक-दूसरे की ओर प्यार से देखा और मैं मोनिका को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया।
मित्रो, इसके बाद की कहानी मेरे और उर्मिला के साथ-साथ मोनिका को भी चोदने की है तथा साथ ही उर्मिला के जरिये मुझे बहुत सी ऐसी प्यासी औरतों को चोदने का अवसर मिला कि मैं एक जिगोलो जैसा बन गया।
आरम्भ में तो उर्मिला ने मुझे बताया नहीं.. वो साली मेरा इस्तेमाल उन चुदासी औरतों की चुदाई करवा कर उनसे पैसा ऐंठती थी और मुझे ये कह कर चूतिया बनाती थी- आओ, तुम्हें नई चूत दिलवाती हूँ..
खुद वो मेरे लौड़े की दलाल बन कर पैसा कमाने लगी थी।
एक दिन एक औरत ने मुझसे सीधे सीधे कह दिया- तुम अपनी चुदाई की कमाई से क्या करते ह?
मैं उस वक्त तो चौंक गया.. पर मैंने बाद में उर्मिला से पूछा तो उसने मुझे बताया- हाँ मैं पैसा लेती हूँ।
उस दिन से फिर मुझे भी मेरा हिस्सा मिलने लगा और धीरे-धीरे मैंने खुद ही अपनी ग्राहकों को ढूँढना शुरू कर दिया।
मोनिका मेरे बच्चे की माँ बन चुकी है और अब भी वो मुझसे मस्ती से चुदती है।
डउसे भी मालूम चल चुका है कि मैं एक जिगोलो बन गया हूँ.. पर उसे मुझसे कोई गिला नहीं है।
उसके पति से हुई बातचीत को मैंने अब डिलीट कर दिया है.. क्योंकि जिस हथियार के रूप में मैंने उससे बातचीत को रिकॉर्ड किया था.. उसकी अब जरूरत ही नहीं थी।
मित्रो, यह मेरी कहानी थी.. जो मैंने आप तक पहुँचाने का प्रयास किया।
आप सभी के विचारों को जानने की उत्सुकता है, आपके ईमेल के इन्तजार में!

मेरे लण्ड का नसीब -3 (Mere Lund Ka Naseeb-3)

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मेरे लण्ड का नसीब -2 (Mere Lund Ka Naseeb-2)


मुझे बहुत दोस्तों के मेल मिले, आपके प्यार का बहुत आभारी रहूँगा। कुछ दोस्तों के मेल का मैं जवाब नहीं दे पाया, उसके लिए माफी चाहूँगा।
मेरे हम उम्र लड़के दोस्त, कृपया किसी भी मेरी महिला ग्राहक का नम्बर ना माँगें.. और ना ही किसी नौकरी के लिए कहें, मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा। मुझे माफ कर दीजिएगा।
अब तक आपने पढ़ा..
वो औरत जो खाना बनाने आती थी.. वो कहने लगी- क्या बात है.. बहुत खुश हो आज?
मैंने कहा- आज तक कोई मिला ही नहीं था.. जो खुश कर सके।
यह बात मैंने उसे परखने के लिए कही थी।
तो उर्मिला ने कहा- आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया..
तो मैंने कहा- अच्छा तो आज ध्यान दे रहा हूँ.. आज खुश कर दो।
उर्मिला ने कहा- आज तो ‘वो’ है ना..
मैंने कहा- वो एक घण्टे में चली जाएगी।
‘ठीक है.. मैं रात को दस बजे वापस आऊँगी।’
मैंने सोचा आज तो यार मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू हैं। जब चाहे जिसका मजा ले लूँ।
अब आगे..
मैंने कहा- चल ठीक है।
तब तक मोनिका भी बाहर आ गई, फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया।
अब तक उर्मिला भी जा चुकी थी। जैसे ही मैं चलने के लिए कपड़े बदलकर बाथरूम से बाहर आया.. तो उसने भाग कर मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे होंठों को चूसने में लग गई।
वो होंठों को ऐसे चूस रही थी.. जैसे जन्मों से प्यासी हो।
लगभग पन्द्रह मिनट बाद मोनिका ने मेरे होंठों को छोड़ा और कहा- जाने का दिल तो मेरा भी नहीं है.. लेकिन मजबूर होकर जाना पड़ रहा है।
मैंने कहा- ज्यादा जल्दी ठीक नहीं है। चलें अब..
हम दस मिनट में ही मोनिका के घर पर पहुँच गए। मैं बाहर से ही वापस आना चाहता था। लेकिन मोनिका ने मुझे जबरदस्ती अन्दर बुलाया और अपनी सासू माँ से मिलवाया।
मैंने उनकी सास को नमस्कार किया और पैर छू लिए।
मोनिका की सास ने मुझे बड़े सम्मान से अन्दर बिठाया और मोनिका ने मेरे बारे में अपनी सास को बताया कि मैं उसका सीनियर हूँ और हरियाणा का रहने वाला हूँ।
मोनिका की सास ने कहा- बेटा आप यहाँ आ जाया करो, आपका भी दिल लग जाया करेगा।
मैंने कहा- जी माँ जी.. ठीक है।
अब सब चुप थे तो मैंने आगे कहा- ठीक है.. अब मैं चलता हूँ।
तो उन्होंने कहा- ऐसे नहीं जाओ.. खाना खाकर जाना..
तो मैंने कहा- माँ जी.. खाना तो हमने कम्पनी में ही खा लिया है।
उसने मोनिका से कहा- तुमने इन्हें खाना खाने से रोका क्यों नहीं?
तभी मैंने कहा- माँ जी कोई दिक्कत नहीं है.. वहाँ भी खाना अच्छा ही मिलता है।
उसने कहा- आज तो कम्पनी में खा लिया.. आज के बाद मत खाना। यहाँ आकर ही खाना है।
मैंने कहा- जी.. माँ जी.. ठीक है.. नहीं खाऊँगा।
कहकर मैंने चलने के लिए कहा.. तो मोनिका मुझे बाहर तक छोड़ने आई।
मैंने मोनिका का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और कहा- एक काम कर दो।
तो मोनिका ने कहा- क्या काम?
मैंने कहा- मुझे एक किस करो।
मोनिका ने कहा- कोई देख लेगा।
मैंने कहा- क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती.. जो सबसे डरती हो?
उसने झट से हाथ छुड़ा कर मेरी गर्दन में हाथ डाला और मेरे होंठों पर लम्बी चुम्मी कर दी और कहा- फिर कभी मत कहना कि मैं आपसे प्यार नहीं करती।
मैंने कहा- ठीक है.. नहीं कहूँगा।
अब मैंने उसे ‘बाय’ बोला और अपने फ्लैट की तरफ चल पड़ा।
दस मिनट में मैं अपने फ्लैट पर पहुँच गया।
मैंने फ्लैट पर जाकर कपड़े बदले ही थे कि तब तक उर्मिला भी वहाँ पहुँच गई।
उसने वहाँ आते ही दरवाजा बंद कर दिया। मैंने कहा- तुमने दरवाजा क्यों बंद कर दिया?
उसने कहा- मुझे आपके कमरे में आने के बाद कोई देख ना ले। इसलिए मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने कहा- यहाँ किसी के पास इतना वक्त नहीं है कि कोई दूसरे के घर में तांक-झाँक करे। अगर कोई देख भी लेगा तो मेरा क्या बिगाड़ लेगा।
उसने कहा- ठीक है आपको तो कोई कुछ नहीं कहेगा.. लेकिन मेरे बारे में सब क्या सोचेंगे।
मैंने कहा- ठीक है.. जैसा तुम चाहो करो।
वो बाथरूम में चली गई। नहाने के बाद उसने साड़ी नहीं पहनी थी।
ब्लाउज और पेटीकोट में क्या मस्त माल लग रही थी, उसका वो भरा हुआ बदन.. लम्बे-काले बाल.. तीखे नयन नक्श वाली चुदासी औरत.. उसका फिगर साईज लगभग 36-34-38 का होगा।
बस क्या बताऊँ..? उसे बिना साड़ी के देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने उसको अपनी तरफ आने का इशारा किया, वो मेरे पास आकर बैठ गई, मैंने उसको पकड़ कर चूमना शुरू कर दिया।
आह्ह.. मजा आ गया.. क्या रसीले होंठ थे उसके.. एक हाथ से उसके चूचों को मसलना शुरू कर दिया और दूसरा हाथ उसकी चूत पर ले गया।
अब मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और उसकी जांघों को भी सहलाना शुरू कर दिया।
वो ‘ऊहहहह.. आहह.. आहह..’ की आवाजें निकालने लगी।
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मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और उतार कर अलग रख दिया।
उसने नीचे कुछ नहीं पहना था, मैंने उसके पूरे बदन को चूम डाला और जगह-जगह पर काट दिया क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था और वो ‘ऊहह.. आहह.. आहह..’ कर रही थी।
मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली तो वो चिहुंक उठी, वो अपने होंठों को काट रही थी।
मैंने चित्त लिटा कर उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरू कर दिया.. उसके दाने को जीभ से हिला रहा था, मैं उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा।
वो मेरे सिर को अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा रही थी और कह रही थी- अब जल्दी से अपना डाल कलकत्ता घुमा दो.. ओओह.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैं फिर भी उसकी चूत को अपनी जीभ से ही चोदे जा रहा था।
कुछ ही देर बाद वो झड़ गई, उसकी चूत से पानी निकल रहा था, वो शान्त हो गई और मैंने उसका सारा कामरस पी लिया।
वो उठकर कहने लगी- राजा मेरा तो सारा पी लिया और अपना स्वाद चखाया ही नहीं।
मैंने कहा- अब पी लो.. मना किसने किया है।
मैंने भी अपनी बनियान और अंडरवियर भी उतार फेंकी।
उसने झट से मेरा लन्ड पकड़ा और कहा- हाय दैया.. इतना लम्बा और मोटा है आपका लंड..!
मैंने कहा- पहले कभी देखा नहीं क्या ऐसा..?
उसने कहा- मेरे पति का लंड आपसे बहुत छोटा और पतला है।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हुआ। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, मजे में मेरी तो आखें ही बंद हो गई थीं।
लेकिन वो बिल्कुल लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। दस मिनट में ही मैंने अपना वीर्य उसके मुँह में भर दिया और वो सारा का सारा पी गई।
अब वो कहने लगी- आज आपका पानी पीकर मजा आ गया.. सच्ची..
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और हम दोनों ने फिर से एक-दूसरे को तैयार किया।
अब उसने कहा- अब जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में पेल दो।
मैंने भी बिना देर किए उसकी चूत पर लंड रख कर एक जोर का धक्का मारा.. लेकिन मेरा आगे का थोड़ा सा हिस्सा ही अन्दर जा पाया।
उतने में ही उसकी चीख निकल गई।
मैं उसके होंठों को चूसने लगा.. फिर मैंने उससे पूछा- दर्द हो रहा है क्या?
तो उसने कहा- मेरे दर्द की चिन्ता आप मत करो। मुझे इस दर्द भरी चुदाई का पूरा मजा लेना है.. आप चोदते रहो। मेरी परवाह मत करना.. आह्ह.. और जोर से चोद डालो मुझे.. मसल दो.. आज अपनी रण्डी बना लो। प्लीज… राहुल जी.. चोद दो मुझे.. आज तक ऐसी नहीं चुदी हूँ.. फाड़ दो आज मेरी..
मैंने लंड को पूरा बाहर किया और एक जोर का झटका मारा.. अब वो रोने लगी लेकिन मुझे लगा अभी लंड पूरा नहीं गया है। मैंने लगातार दो-तीन झटके और मारे. और वो दहाड़ें मार कर चीख रही थी।
अब मैंने उसे जल्दी-जल्दी चोदना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में उसे भी मजा आने लगा। वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर चुदवाने का मजा लेने लगी।
वो चुदाई की मस्ती में कह रही थी- चोद मेरे राजा.. चोद मुझे.. मुझे मसल दो आज.. अपनी रण्डी बना दो.. चोददद मेरेएएऐ.. राजज्जा.. फाड़ड़ देएएए.. आज मेरी चूत..
फिर दस मिनट बाद वो झड़ चुकी थी। और मैं उसे अब भी लगातार चोदे जा रहा था।
अब मैंने उसे उल्टा करके कुतिया की तरह चोदा और वो दो बार फिर झड़ चुकी थी।
पूरे 40 मिनट तक मैंने उसे धकापेल चोदा।
अब मैं भी झड़ने वाला था.. तो मैंने उससे कहा- तुम्हें मेरा माल कहाँ चाहिए?
उसने कहा- मेरी चूत में ही छोड़ दो, मैं अपनी चूत की प्यास को बुझाना चाहती हूँ।
मैं भी झटके मार-मारकर उसकी चूत में झड़ गया और कुछ देर तक उसके ऊपर ही लेट गया।
फिर कुछ देर बाद हम दोनों बाथरूम में चले गए, बाथरूम में शावर के नीचे नहाने लगे।
ुमेरा लंड फिर तन गया, दर्द तो मुझे भी महसूस हुआ लेकिन चूत के मजे के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मैंने उसका एक पैर कमोड पर रखवा कर उसको उल्टा कर दिया और काफ़ी देर तक उर्मिला की चूत की चुदाई की।
फिर हम नहा कर बाहर आ गए।
अब रात के 2 बज चुके थे, मैंने कहा- अब हमें सोना चाहिए.. सुबह मुझे कम्पनी भी जाना है।
उसने कहा- ठीक है.. मैं भी थक गई हूँ।
मैं जैसे ही लेटा तो मेरा फोन बज गया, मैंने सोचा इस वक्त किसका हो सकता है?
मैंने देखा तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि मोनिका का फोन आ सकता है। मैंने उर्मिला को कहा- तुम चुप रहना.. मोनिका का फोन है।
मैंने फोन उठाया और ‘हैलो’ बोला.. तो मोनिका ने कहा- राहुल जी सो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं..
उसने कहा- कौन है आपके पास?
अगले भाग में बताऊँगा। कैसे मोनिका को चोदा। कैसे मोनिका के पति से मुलाकात की और कैसे मोनिका मेरे साथ रही.. कैसे उसे चोदकर अपनी पत्नी बनाया। कैसे मैं जिगोलो बना?
आपके प्यार भरे ईमेल का इन्तजार करूँगा.. मेरी मेल आईडी है।
 मेरे लण्ड का नसीब  (Mere Lund Ka Naseeb) -1

मेरे लण्ड का नसीब (Mere Lund Ka Naseeb) -1

दोस्तो, नमस्कार..
मेरा नाम राहुल शर्मा है.. मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ। मैं देखने में काफी आकर्षक हूँ। मेरे सामान का साइज 6.5″ का है। मैं अन्तर्वासना का पिछले आठ साल से नियमित पाठक हूँ। इसलिए आज मैं भी हिम्मत करके अपनी आत्मकथा आप सब से साझा कर रहा हूँ।
बात आज से दो साल पहले की है जब मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक इंजीनियर के पद पर पुणे में नौकरी करता था। मुझे पुणे आए हुए चार महीने बीते थे। मेरे प्यार की शुरूआत एक महीने पहले हुई थी। जब ‘वो’ कम्पनी में आई तो सब उसे देखते रह गए। जब वो मेरे पास आई और उसने मुझे ‘हैलो’ कहा.. तो मैंने भी उसे ‘हैलो’ कहा और बस.. देखता ही रह गया।
बस क्या बताऊँ.. दोस्तो.. 5.4′ का कद.. गुलाब की पंखुरियों जैसे होंठ.. और 34-30-36 का शरीर का कटाव.. आह्ह.. कमाल का रंग-रूप.. बस क्या बताऊँ.. यारों..!
ऐसा मस्त माल.. जिसे देखते ही सबका लंड खड़ा हो जाए।
मेरा तो दिल कर रहा था कि इसे यहीं पकड़ कर मसल डालूँ… लेकिन मजबूरी थी, कुछ नहीं कर सकता था।
फिर वो ‘हैलो’ बोल कर चली गई और मैं उसके बारे में सोचता ही रहा।
जैसे-तैसे करके ऑफिस का समय पूरा किया और फ्लैट पर आ गया। खाना खाया और लेट गया। लेकिन नींद तो गायब हो गई थी। उसके बारे में ही सोचता रहा। रात दो बजे तक नींद नहीं आई और फिर मुठ्ठ मार कर लेट गया।
उसके बाद पता ही नहीं चला.. कब सो गया, सुबह देर से आँख खुली, जल्दी नहा-धोकर नाश्ता किया।
मैं आपको एक बात बताना तो भूल ही गया। मेरे फ्लैट पर एक खाना बनाने वाली आती थी। उसका नाम उर्मिला था.. उसकी उम्र ज्यादा नहीं थी। लेकिन मैंने उस पर कभी ध्यान नहीं दिया था। वो हमेशा मुझे तिरछी नजरों से देखती रहती थी।
खैर.. फिर मैं जल्दी ही कम्पनी पहुँच गया। सभी से मिलता हुआ ‘उसके’ पास जा पहुँचा। उससे मिलकर ‘हैलो’ किया। उसने भी मुस्कुराकर जवाब में ‘हैलो’ कहा।
मैंने उसके बारे में जाना। उसने सब कुछ बताया। उसका नाम मोनिका है। मुझे पता चला कि वो दिल्ली से है और यहाँ अकेली रहेगी। मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई और फिर मैं अपने केबिन की तरफ चला गया।
कुछ देर बाद मैं अपने काम में व्यस्त हो गया था। मेरे सीनियर कुछ देर बाद उसको अपने साथ लेकर मेरे पास आए। उन्होंने मुझसे कहा- आज से ये आपके विभाग में काम करेगी और आपको इसकी काम सीखने में मदद करनी होगी।
मैंने ‘हाँ’ में जवाब दिया।
अब मैंने मन ही मन भगवान का धन्यवाद किया.. जो उसे मेरे विभाग में ही भेज दिया। वो भी खुश नजर आ रही थी।
मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.. जैसे बिना माँगे सब कुछ मिल गया हो।
वो मुझे ‘सर’ कहकर बुला रही थी। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था। फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
फिर मैंने उसको कहा- तुम मुझे मेरे नाम से पुकारा करो।
वो यह सुनकर हँसने लगी और वहाँ से उठकर भाग गई। मैं भी समझ गया कि शायद वो भी मुझे पसन्द करती है।
लेकिन इस बात का पता लगाने का मेरे पास एक तरीका था। वो हर रोज शाम की कम्पनी की गाड़ी से अपने घर जाती थी। उस शाम मैं उससे पहले काम खत्म करके बाहर अपनी मोटरसाईकिल लेकर गेट पर जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही वो बाहर निकली मैंने उससे कहा- चलो.. मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ देता हूँ।
वो मेरे साथ बैठ गई। अब मुझे इस बात का तो यकीन हो गया कि वो भी मुझे पसन्द करती है। थोड़ी ही देर बाद हम उसके घर पहुँच गए।
वो ‘बाय’ बोलकर घर के अन्दर चली गई। मैं भी अपने घर की तरफ चल दिया और मैं दस मिनट बाद अपने फ्लैट पर पहुँच गया।
मैं खुश तो था.. पर मुझे कुछ अलग सा लगा। लेकिन मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर अन्दर आकर नहा कर घूमने निकल गया। मैं रात देर से घर वापस आया। फिर खाना खाकर सो गया।
मैं सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर तैयार हो गया। जब तक खाना बनाने वाली भी आ गई.. वो आज भी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी। मैंने इस बात पर फिर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।
उसने नाश्ता बना दिया। वो फिर भी मुस्कुरा रही थी।
मैंने उसके मुस्कुराने का कारण पूछा.. तो उसने कहा- आज आपके तेवर कुछ बदले-बदले से लग रहे हैं। क्या मिल गया आपको?
मैंने उससे कहा- ऐसा कुछ नहीं है।
मैं नाश्ता करके कम्पनी के लिए निकल गया। तभी मुझे याद आया कि मोनिका अभी घर पर ही होगी। मैं उसके घर के बाहर पहुँच कर मैंने उसे फोन किया।
उसने फोन उठाकर बताया कि वो आज कम्पनी में देर से आएगी, उसे कोई जरूरी काम है।
मैंने कहा कि अगर कोई दिक्कत है तो वो मुझे बता सकती है, मैं उसकी मदद कर सकता हूँ।
उसने कहा- यदि कोई दिक्कत होगी तो जरूर बताऊँगी।
मैं फिर कम्पनी में चला गया और अपने सीनियर से कहा कि मोनिका का फोन आया था.. उसे कोई जरूरी काम आ गया है। वो आज लेट आएगी।
दोस्तो, उसके बाद मेरे सीनियर ने मुझे जो बताया.. मुझे उस पर बिलकुल भी विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने मुझे बताया कि मोनिका शादीशुदा है।
मुझे तो जैसे कोई बिजली का झटका लगा हो। मुझे और कुछ सुनाई नहीं दिया। मैं तो बार-बार इसी बात को सोच रहा था कि उसने मुझे ये सब क्यों नहीं बताया जबकि हम दोनों लगभग पिछले तीन महीने से साथ काम कर रहे हैं।
फिर मैंने सोचा कि शायद उसकी कोई मजबूरी होगी.. लेकिन मेरा तो जैसे दिमाग काम ही नहीं कर रहा था।
वो 12 बजे करीब कम्पनी में आई और मेरे केबिन में आई और मुझे धन्यवाद कहा..
मैंने कहा- धन्यवाद किस बात का?
उसने कहा- अगर आप सर को मेरे लेट आने के बारे में नहीं बताते तो मेरी गैर हाजिरी लग जाती।
मैंने कहा- यह तो मेरा कर्तव्य है कि अगर मेरे विभाग में किसी को कोई दिक्कत है.. तो मैं उनका ख्याल रखूँ।
मैंने उससे उसका काम बताया और अपने काम में लग गया। मैं उससे बात करना चाहता था.. लेकिन ज्यादा बात नहीं की.. क्योंकि मैं सब कुछ उसके मुख से सुनना चाहता था। इसीलिए मैंने उससे बात नहीं की।
फिर मैंने कई दिनों तक ऐसा ही किया।
यह सच है ना दोस्तो.. अगर आपको कोई प्यार करता है.. तो वो आपको ज्यादा दिनों तक नाराज नहीं देख सकता।
ऐसा ही मेरे साथ हुआ।
कुछ दिन बाद उसने कहा- क्या बात है.. जो आप मुझसे बात नहीं कर रहे हैं।
मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया और वहाँ से चला गया। पूरा दिन मैंने उससे कोई बात नहीं की.. शाम को छुट्टी का वक्त हो गया, मैंने अपना सामान उठाया और बाइक की तरफ चल दिया। मैं जैसे ही बाइक उठाकर गेट पर पहुँचा तो देखा कि वो मेरा वहीं पर इन्तजार कर रही थी।
उसने मुझसे कहा- मुझे आपसे बात करनी है।
मैंने कहा- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
वो झट से मेरी मोटरसाइकिल पर बैठ गई। मैं बिना कुछ कहे उसके घर की तरफ चल दिया। जैसे ही हम उसके घर से कुछ दूरी पर थे.. तो उसने मुझे रुकने को कहा।
मैंने बाईक रोक दी.. तो उसने कहा- यहाँ रुक कर हम बात नहीं कर सकते। कहीं ऐसी जगह चलो.. जहाँ कोई और ना हो और हम आराम से बैठकर बात कर सकें।
मैंने उससे कहा- मेरे फ्लैट पर चलते हैं.. वहाँ कोई नहीं आएगा और हम बात कर सकते हैं।
उसने कहा- ठीक है.. जैसा आप ठीक समझो।
अब हम पन्द्रह मिनट बाद ही मेरे फ्लैट पर पहुँच गए। वहाँ कोई नहीं था.. क्योंकि मैं अकेला ही रहता था।
हम अन्दर गए और मैंने अन्दर जाते ही अपने कपड़े उठाकर बदलने के लिए बाथरूम में घुस गया।
जैसे ही मैं कपड़े बदल कर बाहर निकला तो उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे गले लगकर रोने लगी।
मैंने उसे रोने से चुप करवाया और कहा- क्या हुआ और रो क्यों रही हो?
तो उसने कहा- मैंने आपसे बहुत कुछ छिपाया है।
मैंने कहा- वो तुम्हारी निजी जिन्दगी है। मुझे उससे कोई मतलब नहीं है।
दोस्तो, फिर उसने वो कहा.. जो मैं सुनना चाहता था, उसने कहा- मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।
यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन मैंने अपने ऊपर कण्ट्रोल रखा।
उस वक्त मुझे यह लग रहा था कि जैसे बिना माँगे मुझे सब कुछ मिल गया हो।
फिर उसने वो बताया.. जिसे सुनकर मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, उसने कहा- मैं शादीशुदा हूँ, मेरी शादी को 5 महीने हो गए हैं पर मैं अभी तक कुँवारी हूँ।
मैंने कहा- प्यार तो मैं भी तुमसे करता हूँ। लेकिन तुम शादी-शुदा होने के बाद भी कुँवारी हो.. इसका मतलब मैं नहीं समझा?
उसने बताया कि उसका पति नामर्द है, उसका लंड खड़ा नहीं होता, वो अब भी कुँवारी ही है। उसके पति ने यह बात उसके घरवालों को बताने से मना किया था।
मैंने सोचा कि भगवान ने उसके साथ यह कैसा अन्याय कर दिया। फिर सोचा कि शायद इसीलिए मेरी किस्मत में इसका प्यार लिखा था।
फिर मैंने उससे कहा- ठीक है.. लेकिन मेरी एक शर्त है.. कि तुम मेरे साथ रहोगी। अपने पति से मुझे मिलवाओगी।
उसने कहा- मुझे मन्जूर है।
मैंने उसके चेहरे को बहुत ध्यान से देखा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
क्या बताऊँ दोस्तो.. जैसे कोई परी मेरे पास हो.. और मैं उसके होंठों को चूस रहा होऊँ।
लगभग पन्द्रह मिनट तक मैंने उसके होंठों को चूसा।
अब उसने बताया कि उसका पति कहीं बाहर गया है.. और वो दो दिन बाद वापस आएगा।
मैंने कहा- फिर तो तुम मेरे साथ रहोगी?
तो उसने जवाब दिया कि वो अभी मेरे पास नहीं रुक सकती, उसकी सास आई हुई है।
मैंने कहा- अभी हमारे पास कितना वक्त है?
उसने कहा- लगभग डेढ़ घण्टा।
मैंने कहा- मैं तुम्हारे साथ कोई जल्दबाजी या जबरदस्ती नहीं करूँगा।
उसने कहा- ठीक है।
तब तक खाना बनाने वाली भी आ गई, हम दोनों अलग हो गए।
तभी मोनिका उठकर बाथरूम में चली गई। वो औरत जो खाना बनाने आती थी.. वो कहने लगी- क्या बात है.. बहुत खुश हो आज?
मैंने कहा- आज तक कोई मिला ही नहीं था.. जो खुश कर सके।
यह बात मैंने उसे परखने के लिए कही थी।
तो उर्मिला ने कहा- आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया..
तो मैंने कहा- अच्छा तो आज ध्यान दे रहा हूँ.. आज खुश कर दो।
उर्मिला ने कहा- आज तो ‘वो’ है ना..
मैंने कहा- वो एक घण्टे में चली जाएगी।
‘ठीक है.. मैं रात को दस बजे वापस आऊँगी।’
मैंने सोचा आज तो यार मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू हैं। जब चाहे जिसका मजा ले लूँ।
अगले भाग में बताऊँगा कि कैसे उर्मिला को चोदा, कैसे मोनिका के पति से मुलाकात की और कैसे मोनिका मेरे साथ रही.. कैसे उसे चोदकर अपनी पत्नी बनाया, कैसे मैं जिगोलो बना!


सुमन ने जन्मदिन पर चूत चुदवाई (Suman Ne Janmdin Par Chut Chudwai)


नमस्कार मेरा नाम अखिलेश चौहान है। मैं लुधियाना का रहने वाला हूँ। मेरा कद-5 फुट 2 इंच है। मेरे लण्ड का साइज साढ़े 6 इंच है। मैं आपको अपनी पहली कहानी सुना रहा हूँ।
जब मैंने अन्तर्वासना की कई कहानियाँ पढ़ीं.. तो मेरा भी मन अपनी कहानी लिखने का हुआ।
बात उन दिनों की है.. जब मैं एक कारखाने में काम करता था। मेरे साथ कई लड़के लड़कियाँ काम करती थीं। उनमें से एक थी सुमन।
सुमन का कद 4 फुट 11 इंच.. वक्ष पूरे उभार लिए हुए.. रंग दूध जैसा और चूतड़ एकदम गोल थे।
सुमन को देखते ही मुझे उससे प्यार हो गया था। उसे देख कर लगता.. मानो आसमान से कोई परी उतरी हो।
उसकी मखमली देह.. नशीली आंखें.. किसी को भी एक नजर से ही दीवाना बना दे।
किस्मत से वो मेरे डिर्पाटमेंट में काम के लिए आई। पहले दिन मैंने जाना कि वो मेरे पास के गांव की ही है। मैंने उससे दो-चार दिनों में अच्छी बातचीत शुरू कर दी।
मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि कहाँ से प्यार की बात शुरू करूँ।
फिर एक दिन मैंने उसे बुलाना बंद कर दिया। मैं बहुत ‘बकबक’ करता था। उसने उस दिन तो नहीं.. पर अगले दिन पूछा- क्या बात है.. बड़े चुप हो?
मैं- कुछ नहीं..
सुमन- कुछ तो है.. नहीं तो तुम कभी चुप रह ही नहीं सकते..
सुमन बाहर गई और एक बिस्किट का पैकट ले आई और बोली- लो खाओ.. मैं तुम्हारे लिए लाई हूँ। तुम्हारे घर में कोई बीमार है.. या पैसे चाहिए?
मैं- नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है।
सुमन- कुछ तो है.. नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं.. पर तुम उदास मत रहा करो.. तुम बोलते हुए बहुत अच्छे लगते हो।
मैं- मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं तुम्हें कैसे बताऊँ?
सुमन- दोस्त मानते हो?
मैं- हाँ बिल्कुल..
सुमन- तो कह दो.. जो भी मन में है।
मैं- दरअसल परसों मैंने एक सपना देखा कि.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर रहा हूँ।
इतना सुनते ही उसका मुँह पीला पड़ गया और हाथ में पकड़ा हुआ बिस्किट भी हाथ से छूट गया। वो मेरी तरफ देखती ही रह गई।
मैं उसकी तरफ देख रहा था.. तो और वो मेरी तरफ..
फिर उसने अपनी नजरें झुका ली।
थोड़ी देर बाद छुट्टी हो गई।
अगले दिन उसने मुझसे कोई बात नहीं की।
एक सप्ताह बीत गया।
फिर मैं उसके पास गया और उससे बातचीत शुरू करने की कोशिश की- क्या मैंने कोई जानबूझ कर ऐसा सपना देखा था?
सुमन बिना कुछ बोले आगे बढ़ने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
सुमन- देखो.. तमाशा मत बनाओ मेरा..
मैं- पहले मेरी गलती बताओ?
सुमन- गलती तो मेरी है.. जो मैंने तुम्हें अपना दोस्त माना।
मैं- क्यों मैंने ऐसा क्या किया?
वो कुछ नहीं बोली और मैं भी चुप हो गया।
छुट्टी के बाद मैं उसे फिर बोला- मुझे माफ कर दो..
सुमन कुछ न बोली।
मैं- क्या तुम मुझे माफ भी नहीं कर सकती?
सुमन- मैंने तुम्हारे बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा था।
मैं- मैंने भी तुम्हारे बारे में ऐसा कभी नहीं सोचा था।
सुमन- मैंने हमेशा तुम्हें अपना दोस्त माना..
मैं- मैंने भी हमेशा तुम्हें अपना दोस्त माना।
अब जो भी वो कह रही थी मैं उसी की बात को दोहरा रहा था।
तभी..
सुमन- मैं..
अचानक वो हँस पड़ी और मेरी तरफ उंगली दिखा के बोली- आगे से ऐसा मजाक नहीं होगा..
मैं- नहीं होगा.. पर क्या तुम्हारी किसी से दोस्ती है?
सुमन- नहीं..
मैं- कभी नहीं की?
सुमन- नहीं..
मैं- तुम्हारी उम्र क्या है?
सुमन- 19..
मैं- तुम्हारी उम्र की लड़कियाँ तो..! तुम्हारा दिल नहीं करता?
सुमन मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराकर बोली- नहीं..
मैं- क्यों.. क्या तुम्हें किसी ने ऑफर नहीं दिया..?
सुमन- नहीं ऐसी बात नहीं.. बस दिल ही नहीं हुआ..
मैं- क्यों.. क्या तुम..
सुमन ने मेरी बात काटते हुए मुस्कुराकर कहा- क्योंकि कोई तुम जैसा नहीं मिला..
मैं हतप्रभ था..
दो दिन बाद उसका जन्मदिन आया। मुझे पता नहीं था।
उसने मुझसे पूछा- आज घर पर कोई काम तो नहीं है?
मैं- नहीं क्यों..
सुमन- नहीं दरअसल मेरे घर पर काम है।
मैं- कोई बात नहीं..
‘कोई बात है जी.. तुमको मेरे साथ मेरे घर चलना है..’
उसने मुस्कुरा कर कहा।
मैंने हामी भर दी।
वो जल्दी चली गई थी।
शाम को मैं उसके घर गया- बताइए क्या काम है.. बंदा हाजिर है..
सुमन- आज मेरा जन्मदिन है।
मैं- अरे.. तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया.. मैं कोई उपहार लेकर आता।
सुमन- तुम आ गए.. यही उपहार है।
मैं- घर के बाकी लोग कहाँ हैं?
सुमन- कोई नहीं है.. किसी को मेरा जन्मदिन याद ही नहीं था।
वो उदास होकर बोल रही थी।
मैं- मैं हमेशा याद रखूँगा।
सुमन- ज्यादा ठरकी मत बन..
मैं- नहीं यार.. सच में..
सुमन- एक बात पूछूँ..?
मैं- पूछो?
सुमन- प्यार करते हो मुझसे?
मैं समझ गया कि आज इसका चुदने का मन है। मैं मौका न गंवाते हुए बोल पड़ा-हाँ.. मैं तुम्हें यही तो कहना चाहता था.. पर तुम तो मेरी बात सुनती ही नहीं थी।
यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया। पहले तो उसने आँखें बड़ी कर लीं.. पर फिर मुस्कुराने लगी। मैं उसे किस करने लगा।
एक-दो बार ‘न.. न..’ करने के बाद वो मेरा साथ देने लगी।
अब मेरे होंठ उसके होंठों पर चिपक गए थे.. मेरा दाहिना हाथ उसके बांए मम्मे को मजा दे रहा था और बांया हाथ उसकी कमर पर था।
अभी तक हम नंगे नहीं हुए थे। मैंने सुमन की कमीज उतारी। उसने सफेद समीज पहनी थी। उसके स्तन पूरे तन गए थे।
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी।
समीज उतारते ही मैं मदहोश हो गया इतने सुन्दर स्तन देख कर मेरा लवड़ा खड़ा हो गया था।
दूध भरे मम्मों पर चॉकलेटी निप्पल.. हय.. मेरी तो निकल पड़ी थी।
मैं बड़े जोश से उन्हे दबाने और चूसने लगा।
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मे चूसने लगा।
वो सिसकियाँ लेने लगी- उह.. आह.. उंम्म.. आह..
फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला। उसने क्रीम कलर की जालीदार पैंटी पहनी हुई थी। उसमें उसकी दोनों फाकें फूल कर आकार ले चुकी थीं। फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी। उसने चूत की शेव अभी ताजी-ताजी ही हुई थी.. ये साफ़ दिख रहा था।
उसकी गोरी चूत रिस रही थी। मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसका नमकीन पानी और उसकी जाँघों की गर्मी से मेरा लण्ड फर्राटे मारने लगा।
‘उंम्म.. आह.. उह.. अह.. आह.. आह.. अम्म!’ की आवाजें करती सुमन मेरी उत्तेजना और बढ़ा रही थी।
मैंने सुमन को बिस्तर से नीचे उतार कर अपनी पैन्ट घुटनों तक कर अपना लण्ड उसके मुँह में लगा दिया।
मेरा पूरा साथ देते हुए उसने मेरा लण्ड बहुत प्यार से अपने मुँह में डाल लिया और मस्ती से चूसने लगी।
मैं उसे बालों से पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में ठूंसने लगा।
अब मैंने उसे बिस्तर पर लेटा कर 69 का पोज बना लिया। मैं उसकी चूत फिर से चाटने लगा।
वो पूरी नंगी थी और मैंने भी अपने सभी कपड़े उतार फैंके।
मेरा लण्ड लोहे जैसा तना हुआ था। मैंने उसकी चूत पर अपना लण्ड रखा और थोड़ा जोर लगाया लेकिन मेरे लण्ड को रास्ता नहीं मिला।
मैंने एक जोर का झटका दिया और लण्ड उसकी दोनों कोमल फांकों को चीरता हुआ उसमें समा गया।
वो जोर से चीख पड़ी..
उसके दर्द का ठिकाना न था, उसकी चूत से खून भी बहने लगा, वो रोने लग पड़ी।
फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, थोड़ी देर में दर्द शांत हो गया, मैं धीरे-धीरे चुदाई करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैंने उसे घोड़ी बना लिया। उसके बाल पकड़ कर कस-कस कर धक्के लगाने लगा।
सुमन- आहह.. आहह.. आहह.. आहह.. आहह..
उसकी आवाजें सुन कर मैं और तेज हो गया।
सुमन लगातार सिसिया रही थी- आहह.. आहह… आई.. आई..
मैं- और चीख मां की लौड़ी.. और चीख..
सुमन- आहह.. ओहह.. बहुत दर्द हो रहा है.. छोड़ दो प्लीज.. आहह.. आहह..
मैं- ऐसे-कैसे छोड़ दूं तुझे.. आज तो चोद कर ही दम लूँगा।
सुमन- मैं मर जाऊँगी.. आहह.. बहुत दर्द हो रहा है।
फिर मैंने उसे खड़ा कर दिया और उसकी एक टांग धरती पर रहने दी और दूसरी टांग बिस्तर पर रखी।
फिर उसके मम्मों में सिर मलते हुए उसकी चूत लेने लगा।
वो थोड़ी देर में ही झड़ गई.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी। मुझे तरस आ गया.. क्योंकि मुझे आगे भी उसकी फुद्दी लेनी थी.. इसलिए मैंने अब उसे घुटनों के बल बिठाया और उससे अपने लौड़े की मुट्ठ मरवाने लगा।
थोड़ी देर में मेरा भी काम हो गया, उसके मम्मों पर मैंने सारा वीर्य गिरा दिया।
फिर हम दोनों नंगे एक साथ ही सो गए। रात में कई बार मैंने उसे अलग अलग अंदाज में चोदा..
अब तो वो मेरे लवड़े की शैदाई हो गई थी.. आए दिन मुझे उसकी चुदाई करना पड़ती है।
मुझे उम्मीद है कि आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। मुझे अपने ईमेल जरूर कीजिएगा

यूँ फंसी चक्कर में मैं (Yuun Fansi Chakker me Mai)


दोस्तो, मेरा नाम सुलक्षणा है, 38 साल की गोरी चिट्टी खूबसूरत औरत हूँ, कद 5 फुट 6 इंच है, घने लंबे बाल हैं और बहुत ही अच्छा गदराया बदन है, जिस वजह से मेरी खूबसूरती में और भी चार चाँद लग जाते हैं।
आज आपको मैं अपनी कहानी सुनाती हूँ। बात 2 साल पहले की है, मेरा अपने पति से किसी वजह से तलाक हो चुका था और मैंने एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर ली।
जॉब अच्छी थी, अपना घर, अपनी कार तो मेरे पास पहले से ही थी, एक बेटी है जो स्कूल में पढ़ती है।
पति से अलग होने के बाद मैंने अपना सारा ध्यान अपने काम और घर में लगा दिया, खूब मन लगा कर मैं अपना काम कर रही थी।
ऑफिस का स्टाफ भी बहुत अच्छा था। यह बात अलग थी कि सब मेरी खूबसूरती पर फिदा थे और चोरी छुपे मेरे हुस्न को देखते थे। अपने हुस्न की तारीफ उनकी आँखों में पढ़ कर मुझे भी अच्छा लगता था। बहुत से लोगों ने मुझे लाइन दी मगर मैंने किसी की परवाह नहीं की, सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया।
एक बार किसी काम की वजह से बॉस को 15 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा तो उन्होंने मुझे उनकी जगह काम करने को कहा।
मुझे थोड़ा अजीब लगा कि यह मेहरबानी कुछ ज़्यादा ही है, मगर मुझे अपने आप को साबित करने का मौका मिल रहा था, मैंने हाँ कर दी।
बॉस के जाने के बाद मैंने बहुत ही दिल लगा कर काम किया, बड़े ही सोच समझ कर फैसले लिए।
जब बॉस वापिस आए तो मैंने उन्हें अपने काम की सारी रिपोर्ट दी, बॉस बहुत खुश हुये, उन्होंने मुझे शाबाशी दी।
वैसे मेरे बॉस मुझसे ज़्यादा बड़े नहीं थी, बस 48-49 साल के होंगे, पसंद वो भी मुझे करते थे, मगर कभी उन्होंने मुझे गलत निगाह से नहीं देखा।
मगर हमारी कंपनी का जो लीगल अडवाइज़र है न, कुणाल वो हमेशा मुझे खा जाने वाली नज़रों से देखता था। वो अक्सर बॉस के कमरे में बैठा रहता और जब कभी भी मैं या ऑफिस की कोई और लड़की बॉस के केबिन में जाती, वो सबको बहुत घूरता था।
ऐसे ही एक दिन मैं किसी काम से बॉस के केबिन में गई, तो कुणाल भी वहीं बैठा था। यूँ ही बातों बातों में कुणाल ने मुझ पर तंज़ कसा कि जब किसी को पावर मिल जाती है न, तो वो उसका गलत इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आता।
मुझे उसकी बात बड़ी अजीब लगी और समझ में भी नहीं आई, मैं चुपचाप बाहर आ गई।
अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस पहुंची तो मुझे तभी बॉस ने बुला लिया।
मैं उनके केबिन में गई, उस वक़्त कुणाल भी वहीं बैठा था, दोनों बहुत सी फाइलें और रजिस्टर खोल कर बैठे थे, जैसे कोई हिसाब किताब लगा रहे हों।
मैंने जाकर बॉस और कुणाल दोनों को गुड मॉर्निंग कहा और उनके पास ही खड़ी होकर देखने लगी कि वे क्या कर रहे हैं।
बॉस ने मुझे बैठने को कहा, मेरे साथ वो दोनों भी अपनी अपनी जगह पे बैठ गए।
बॉस ने मुझे बताया कि उनके जाने के बाद मैंने जो 15 दिन उनका काम संभाला था उस दौरान, दो बिज़नस डील्स में करीब साढ़े छः लाख की घपलेबाज़ी हुई है।
मेरे तो पैरों तले से ज़मीन निकल गई, मैंने उनके सारे पेपर चेक किए, और जब मैंने सारा हिसाब लगा कर देखा तो करीब साढ़े छः लाख रुपये गायब थे, चेक के बजाए मैंने ही कैश पैसे देने को कहा था, और पेमेंट नहीं हुई थी।
अब इतने पैसे तो मेरे पास भी नहीं थे कि मैं अपनी जेब से दे देती, मगर असल बात यह थी, मेरी नौकरी भी तो जाती थी।
मैं तो परेशान हो गई, मैंने हर डीटेल को चेक किया। मगर हर तरफ से घपलेबाजी का इशारा मेरी तरफ ही हो रहा था। मैंने बॉस से बात की कि अब इसका क्या हल हो सकता है?
बॉस ने कुणाल की तरफ देखा।
वो बोला- वही हम भी सोच रहे हैं, आप हमारी कंपनी कि एक मेहनती और ईमानदार एम्प्लोयी हैं, आप पर हमें पूरा विश्वास है, मगर जो हुआ है, उसका भी हल निकालना है और हम आपको भी नहीं खोना चाहते, न ही यह चाहते हैं कि आपके घर पुलिस आए।
पुलिस का नाम सुन कर तो मैं सच में डर गई, और मेरे डर को शायद कुणाल ने भाँप लिया। वो उठ कर मेरे पास आया और बड़े ही शालीन तरीके से मेरे पास बैठ गया और बोला- आप ऐसा करो, अच्छे से याद करो और बताओ कि आपने वो पैसे किसको दिये थे, क्योंकि सेफ की चाबी आपके ही पास थी।
मगर मैंने पैसे दिये नहीं थे तो पैसे कैसे निकल गए, वो भी बंद सेफ से। मैं बहुत परेशान थी, मैं अपना सर पकड़ कर बैठ गई, कुणाल ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और तसल्ली देने लगा।
परेशानी और डर की वजह से मैं रोने लगी।
कुनाल ने मुझे चुप करवाया और अपनी सीट पे जा कर बैठने को कहा।
मैं अपने केबिन में आ गई। थोड़ी देर बाद जब कुछ संभली तो ऑफिस का प्यून मेरे पास आया। मुझे पानी दिया पीने को और बोला- मैडम जी, एक बात कहूँ?
मैंने कहा- कहो!
वो बोला- यह जो आपके साथ हो रहा है न, यह कोई नई बात नहीं है। आपसे पहले भी ऐसे हो चुका है।
‘मतलब?’ मैंने पूछा।
वो बोला- ये जो कुणाल बाबू हैं न, सब कुछ इनकी ही चाल है, खुद ही घपला करवा देते हैं और फिर खूबसूरत लड़कियों को अपने जाल में फंसा लेते हैं।
मैं समझ गई कि मैं कुणाल के जाल में फंसी हूँ। अब मैं सिर्फ यह देखना चाहती थी कि वो मुझसे क्या चाहता है, बात तो साफ थी कि उसकी गंदी नज़र मुझ पर थी।
दो दिन बाद मैं अपने केबिन में बैठी थी और घर जाने से पहले अपना सामान समेट रही थी, तभी मेरा मोबाइल बजा।
मैंने देखा कुणाल का फोन था, मैंने हैलो कहा तो वो उधर से बोला- बात ऐसी है कि आज शाम को मेरी मीटिंग अपने एक बहुत ही सीनियर वकील से है, जिससे मैं आपका केस डिस्कस करने वाला हूँ, प्रशांतजी (मेरे बॉस) भी वहीं होंगे, अगर आपकी ज़रूरत पड़ी तो मैं आपको बुला लूँगा, क्या आप आएंगी?
मेरे पास और क्या चारा था, मैंने कहा- जी आ जाऊँगी, कितने बजे आना है?
वो बोला- शाम 7 बजे की मीटिंग है, याद रखिएगा।
मैं घर जाते वक़्त यही सोच रही थी कि कुणाल मुझसे क्या चाहता है, यह बात तो साफ थी कि उसकी मुझ पर गंदी निगाह थी, मगर अगर उसने कुछ उल्टी सुल्टी डिमांड रख दी तो क्या मैं उसकी बात मान पाऊँगी।
मैं बहुत कुछ सोच रही थी, अगर पैसे देने पड़े, अगर मुझे नौकरी से निकाल दिया गया, और अगर कुणाल ने मुझे कोई अनुचित मांग मानने को कहा तो?
घर आ कर मैं सबसे पहले नहाई, और नहाते नहाते मैंने सोच लिया कि यह नौकरी मुझे नहीं खोनी, यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, मेरी पहचान है, चाहे कुछ भी हो जाये, मैं उनकी हर बात मान जाऊँगी, बस नौकरी नहीं जानी चाहिए।
मैंने अपने बगल के बाल साफ किए, यही नहीं अपनी कमर के नीचे के बाल (झांट) भी बिल्कुल साफ कर दिए, सारी बॉडी पे लोशन लगाया।
करीब 7 बजे फिर से फोन आया, और कुणाल बोला- हैलो, सुलक्षणा जी, वकील साहब से टाइम मिल गया है, क्या आप अभी आ सकती हैं?
मैंने पूछा- कहाँ आना है?
वो बोला- होटल सन बीम में, हम आपका इंतज़ार कर रहे हैं।
मैंने फोन काटा, कपड़े बदले, बेशक मेरे बूब्स बड़े हैं, फिर भी पैड वाली ब्रा पहनी के थोड़े और भरे भरे बूब्स लगे, हल्के सी ग्रीन कलर की साटिन की साड़ी पहनी, बढ़िया सा मेकअप किया ताकि और हॉट लगूँ।
शीशे में देखा, बहुत ही धांसू लग रही थी।
गाड़ी लेकर मैं होटल पहुंची, कुणाल मुझे गेट पे ही मिल गया, वो मुझे ऊपर पाँचवी मंज़िल पे अपने रूम में ले गया।
उस वक़्त 8 बज रहे थे।
जब मैं रूम में एंटर हुई तो देखा वहाँ तो बस प्रशांतजी और कुणाल ही थे।
मेरे पूछने से पहले ही कुणाल ने कह दिया- वो वकील साहब से सारी बात डिस्कस हो चुकी है, उन्हें जल्दी जाना था, अब सिर्फ आपसे पूछना है।
मैं जाकर सोफ़े पे बैठ गई, प्रशांतजी भी बैठे थे, कुणाल ने एक ड्रिंक बनाई और मुझे दी।
मुझे अपने आप में थोड़ी बहादुरी, थोड़ी दिलेरी पैदा करने के लिए, ड्रिंक ज़रूरी थी, मैंने एक ही बार सारी ड्रिंक पी ली और कुणाल से
कहा- वन मोर प्लीज़!
वो झट से एक और ड्रिंक बना लाया।
मैंने गिलास हाथ में पकड़ा और पूछा- जी अब बताइये क्या चाहते हैं आप?
मेरी टोन बता रही थी कि मैं सब कुछ करने को तैयार हूँ, अब सिर्फ उन्होंने अपने अंदर के जानवर को बाहर निकालना था।
बात कुणाल ने ही शुरू की, थोड़ा इधर उधर घुमा कर वो बोला- अगर आपको हमारी इच्छा पूरी करने में कोई दिक्कत न हो, तो सब कुछ वैसा ही हो जाएगा, जैसे पहले था।
‘क्या इच्छा है आपकी?’ मैंने पूछा।
‘एक मर्द को एक खूबसूरत औरत से क्या चाहिए!’ वो बोला।
‘मेरे पास न तो देने के लिए इतने पैसे हैं, और न ही मैं यह नौकरी खोना चाहती हूँ।’ कह कर मैं उठी और बालकनी के पास जा
कर खड़ी हो गई।
कुणाल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पे रखे, मैं चुपचाप खड़ी रही, उसने अपने एक हाथ से मेरे बाल मेरे कंधे से हटाये और मेरे कंधे का जो हिस्सा मेरे ब्लाउज़ से बाहर था, वहाँ पे अपने होंठो से चूम किया।
मेरे कंधे से एक बिजली की लहर दौड़ी जो मेरे दोनों बूब्स से होते हुये, मेरी योनि में सनसनाहट पैदा करती हुई मेरे पाँव तक गई।
करीब दो बरस बाद मुझे किसी मर्द ने इस तरह से छुआ था।
मैंने कुछ प्रीतिक्रिया नहीं की, तो कुणाल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया- तुम जानती हो सुलक्षणा, मैंने जब से तुम्हें देखा है, मैं तो तुम्हारा दीवाना हुआ पड़ा हूँ, तुम बेहद खूबसूरत हो।
कहते कहते उसने अपना हाथ मेरे पेट पे फेरा।
मगर किसी मर्द के छूने भर के एहसास से मेरे अंदर तो हलचल मच गई थी, मैंने अपना सिर पीछे को गिराया और उसके कंधे पे टिका दिया और अपनी आँखें बंद कर ली।
कुणाल ने अपने दोनों हाथ ऊपर लेजा कर मेरे दोनों बूब्स को पकड़ लिया और बड़े आहिस्ता आहिस्ता से दबाये। जब मैंने फिर भी कोई प्रीतिक्रिया नहीं की तो कुणाल ने मेरा हाथ पकड़ा और वापिस सोफ़े के पास ले गया।
मैं खड़ी रही, कुणाल ने मेरे कंधे से मेरा ब्रोच खोला, साड़ी का पल्लू बड़े आराम से नीचे गिरा दिया। आज पहले बार ऐसा हुआ था कि मेरा पल्लू मेरे बॉस के सामने नीचे गिरा था।
प्रशांत जी भी जो बैठे देख रहे थे, गिलास रख कर उठ कर आए और मेरे सामने खड़े हो गए।
मैंने अपनी आखें बंद ही रखी।
कुणाल अपनी कमर पीछे से मेरे हिप्स पे लगा के खड़ा था और मुझे एहसास हो रहा था कि उसका लण्ड मेरे हिप्स के बीच में घिस रहा था।
पहले प्रशांतजी ने मेरे दोनों बूब्स अपने हाथ में पकड़े, उन्हे दबाया, और मेरे ब्लाउज़ में से बाहर दिख रहे मेरे क्लीवेज को चूमा, और अपनी जीभ से चाटा।
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मैं चुपचाप खड़ी उन मर्दो की करतूतें देख रही थी। फिर प्रशांतजी ने मेरी साड़ी की चुन्नट एक एक करके खोली और मेरी साड़ी उतार कर सोफ़े पर फेंक दी।
कुणाल ने मुझे गोद में उठा लिया और बेड पे ले गया, मुझे प्यार से बेड पे लिटाया, प्रशांतजी ने मेरे सेंडिल उतारे और सेंडिल उतार कर मेरे पाँव चूमे, मेरे पाँव की उँगलियों और अँगूठों को मुँह में लेकर चूसा।
वो मेरे पाँव के अंगूठे चूस रहे थे और झंझनाहट मेरी योनि में हो रही थी। मुझे लगा जैसे मेरी योनि गीली हो गई है।
इतनी देर में कुणाल ने अपने सारे कपड़े उतार दिये, सिर्फ एक चड्डी को छोड़ कर। मगर उसकी चड्डी में भी उसका तना हुआ लण्ड साफ दिख रहा था।
वो मेरी बगल में आ कर लेट गया और अपने हाथों से उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोले और मेरा ब्लाउज़ उतार दिया। मेरी ब्रा में से मेरा बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था, जिस पर दोनों ने हाथ फिरा कर देखा।
उधर प्रशांतजी ने अपने हाथों से पहले मेरा पेटीकोट मेरे घुटनो तक उठाया, मेरी टाँगो को पाँव से लेकर घुटनों तक चूमते चाटते वो घुटनों तक आ गए।
जब उन्होंने देखा कि कुणाल मेरे होंठ चूस रहा है और सिर्फ एक चड्डी में हैं, उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।
कुणाल ने मेरा चेहरा अपनी तरफ घुमाया और मेरे गालों को चूमा और फिर अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये।उसने मेरे होंठ चूसे, मैंने उसका साथ दिया, मैंने भी उसके होंठ चूसे।
दो साल बाद मैं किसी पुरुष से सेक्स करने जा रही थी, नही तो अपने पति से तलाक के बाद जब कभी भी दिल किया, अपने हाथों से ही अपनी सेक्स की भूख शांत कर लेती थी, मगर आज तो दो दो मर्द मुझे भोगने को तैयार खड़े थे, मेरी तरफ से पूरी सहयोग मिलता देख उनके भी होंसले बढ़ गए थे।
बेहद शांत रहने वाले प्रशांतजी ने मेरी पेंटी उतारी और मेरी टाँगें खोल कर अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया और सबसे पहले मेरी
चूत को अपने दाँतों से काट खाया।
मैं सिहर गई, मगर दोनों मर्दों को जोश चढ़ गया था।
कुणाल ने मेरी ब्रा ऐसे खींच कर उतारी कि उसके दोनों स्ट्रैप ही टूट गए, मेरी दोनों छातियों अपने सख्त हाथों में पकड़ के कुणाल ने मसल दिया, मेरे मुख से दर्द से चीख निकल गई।
उसके बाद वो बदहवासों की तरफ मेरी छातियों को नोचने लगा, कभी दबाता, कभी निचोड़ता, कभी काटता।
जितना आनन्द मुझे प्रशांतजी से अपनी चूत चटवा कर आ रहा था उतना ही दर्द मुझे कुणाल मेरी छातियों को मसल कर दे रहा था। उसके दबाने से मेरी दोनों छातियाँ लाल हो गई थी।
उसने अपनी चड्डी उतार दी और मैंने उसका करीब 6 इंच का मोटा काला लण्ड हवा में लहराता दिखा। फिर वो मेरी छाती पर आ बैठा और उसने अपना लण्ड मेरे होठों से लगा दिया, मैंने उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
मैं तो सिर्फ उसका लण्ड चूसना चाहती थी, मगर उसने तो अपनी कमर चला कर मेरा मुख चोदन शुरू कर दिया।
एक दो बार तो ऐसा लगा जैसे मुझे उल्टी हो जाएगी, इतनी ज़ोर से उसका लण्ड मेरे गले के अंदर जा कर लगा।
प्रशांतजी के चाटने से मेरी चूत पानी पानी हो रही थी।
थोड़ी देर चाटने के बाद प्रशांतजी ने मेरी चूत पे अपना लण्ड रखा और अंदर ठेल दिया।
अब मेरे दोनों मुख लण्ड से भरे पड़े थे और दोनों में चुदाई हो रही थी।
करीब 5 मिनट की डबल चुदाई के बाद दोनों ने अपनी अपनी जगह बदल ली, अब प्रशांतजी मुझे लण्ड चुसवा रहे थे और कुणाल मुझे चोद रहा था।
मगर प्रशांतजी बड़े प्यार से मेरा ख्याल रखते हुये मुझे लण्ड चुसवा रहे थे और मैं भी पूरा मन लगा कर उनका लण्ड चूस रही थी।
कुणाल मेरी चूत को भी बेदर्दी से चोद रहा था, शायद इसी वजह से मैं झड़ गई, जबर्दस्ती की चुदाई में मैं जल्दी स्खलित हो जाती हूँ। स्खलित होते वक़्त जो मैं कसमसाई, उसी कारण प्रशांतजी का भी वीर्यपात मेरे मुख में ही हो गया।
मैंने उनकी आँखों में देखा, उन्होंने अपना सिर हिला कर मुझे इशारा किया कि ‘पी जाओ’ और मैं उनका सारा वीर्य अंदर निगल गई।
झड़ने के बाद प्रशांत जी मेरी बगल में ही लेट गए, उन्होंने दो सिगरेट सुलगाई और एक मुझे दे दी।
हम दोनों सिगरेट पीने लगे।
इसी दौरान, कुणाल ने भी अपनी मर्दांगी के रस से मेरी चूत को सरोबार कर दिया।
वो मेरे ऊपर ही लेट गया और मेरी ही सिगरेट लेकर पीने लगा।
‘जानती हो सुलक्षणा, जिस दिन तुम्हें पहली बार देखा था, मेरा तभी तुम पे मन आ गया था और मैंने यह सोच लिया था कि एक न एक दिन तुम्हें ज़रूर अपना बनाऊँगा।’ कुणाल बोला।
‘और उसके लिए चाहे मुझ पर झूठा केस ही क्यों न बनाना पड़े?’ मैंने कहा।
‘अरे!’ कह कर वो हंस दिया- अब क्या बताऊँ, तुम हो ही इतनी हसीन कि प्रशांत भी तुम्हें हर हाल में हासिल करना चाहता था।
‘सच में?’ मैंने पूछा- अगर प्रशांतजी कहते तो इनके लिए तो मेरी हमेशा से हाँ थी।’ मैंने कहा।
इस बार हम तीनों हंस पड़े।
उस रात उन दोनों मर्दों ने मुझे तीन तीन बार चोदा। सुबह 6 बजे मैं घर वापिस आई।
और उसके बाद मैं आज कंपनी की मैनेजर हूँ। एक पते की बात बताती हूँ आपको, सेंटर (चूत) की सिफ़ारिश के आगे सब फेल है।


तुम बहुत अनाड़ी हो (Tum Bahut Anadi ho)


नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनिल भारद्वाज है।
मैं पानीपत का रहने वाला हूँ और मैं एक पशु चिकित्सक यानि veterinary Doctor हूँ।
मैं अन्तर्वासना का काफी पुराना पाठक हूँ। कई मित्रों की कहानी पढ़ कर मुझे प्रेरणा मिली कि मुझे भी अपनी ज़िन्दगी का अनुभव आप सबसे साथ सांझा करना चाहिए।
दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है, अगर कहानी में कोई गलती हो तो अपने इस नादान दोस्त को क्षमा कर देना।
बात उन दिनों की है जब मैंने अपने 12वीं कक्षा के पेपर दिए थे और मेरा परिणाम आने में काफी समय था तो मैंने सोचा कि क्यों न खली समय में कोई छोटी मोटी नोकरी कर ली जाए।
काफी जगह कोशिश करने के बाद मुझे एक मार्किटिंग कंपनी में नौकरी मिल गई।
वहाँ पर मेरी मुलाकात मेरी सीनियर निशु (बदला हुआ नाम) से हुई, वो एक सुडौल शारीर की मालकिन थी।
उसका नाप शायद 32-26-34 का होगा।
शुरू से ही मेरी नज़र निशु पर थी, मैं निशु से बात करने का कोई मौका नहीं जाने देता था क्योंकि वो थी ही इतनी खूबसूरत कि हर कोई उसको चाहता था।
मैंने उसके काम में भी हाथ बंटाना शुरू कर दिया जिससे मुझे निशु से बात करने का टाइम ज़्यादा मिलने लगा और फिर हमारी दोस्ती हो गई।
अब हमारी फ़ोन पर बाते होने लगी।
एक दिन मैंने उसको परपोज़ कर दिया तो उसने मना कर दिया, उसके बाद मैं कई दिनों तक ऑफिस नहीं गया।
निशु ने मुझे कई बार फ़ोन किये लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
फिर एक रविवार को वो मेरे घर आई, मेरी मम्मी ने उसे चाय नाशता कराया और मुझे नीचे बुलाया।
मैं निशु को देखकर एकदम से चौंक गया कि कहीं इसने मम्मी को सारी बात न बता दी हो।
मैंने निशु से हाय की और दूसरे सोफे पर बैठ गया लेकिन मैं निशु से नज़रे नहीं मिला पा रहा था उस दिन वाली मेरी हरकत की वजह से।
उसने मुझसे पूछा- तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रहे?
मैंने कहा- बस अब दिल नहीं लगता वहाँ!
तो वह मुझे कल ऑफिस में आने की कह कर चली गई।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो निशु ने मुझे अपने केबिन में बुलाया।
लेकिन मैं गया नहीं।
उसने फिर बुलाया, फिर मैंने काम का बहाना बना दिया।
ऑफिस की छुट्टी होने के बाद वो मेरे पास आई और गुस्से से बोली- तुम मेरे साथ चलो।
हम दोनों उसकी स्कूटी पर उसके रूम पर पहुँचे और जाते ही उसने मेरे गाल पर एक तमाचा रसीद कर दिया और कहा- तुम बड़े अनाड़ी हो, तुम्हें इतना तो पता होना चाहिए कि कोई भी लड़की इतनी जल्दी हाँ नहीं करती।
मैं शर्म से नीचे मुँह करके खड़ा था।
फिर मैंने उसको सॉरी बोला और वहाँ से जाने लगा।
निशु ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।
मैं अभी भी डरा हुआ था पर निशु ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए, एक गहरा चुम्बन करके बोली- यह रहा तुम्हारा जवाब!
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मेरी तो निकल पड़ी, आखिर निशु ने हाँ कर ही दी।
मैंने उससे पूछा- तुमने मुझे थप्पड़ क्यों मारा?
वो बोली- यह तुम्हारी सजा थी मुझे सताने और इग्नोर करने की!
मैंने निशु को अपनी बाहुपाश में कैद कर लिया और उसके गुलाबी होंठों पर अपने प्यार की मोहर लगा दी।
लगभग 20 मिनट तक लम्बे चुम्बन से हम दोनों गरम हो चुके थे, मैं टॉप के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने लगा।

मैंने उसका टॉप उतार दिया, काली ब्रा में कैद उसके दूध मुझे पागल कर रहे थे, ब्रा के ऊपर ही उसके एक दूध को पीने लगा।
कामातुर होने की वजह से कब हमारे कपड़े हमारे शरीर से अलग हो गए पता नहीं लगा।
गोरी जांघों के बीच उसकी क्लीनशेव चूत क्या कमाल थी।
उसकी चूत से अजीब सा तरल बह रहा था और उसकी चूत की मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी।
मैंने उसकी चूत को करीब 10 मिनट तक चूसा।
इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी।
अब हमसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था, मैंने जल्दी से अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। 20 मिनट की मेहनत के बाद हम दोनों शांत हो गये।
फिर हमें जब भी मौका मिलता हम यही खेल खेलते।
दोस्तो, यह थी मेरी एकदम सच्ची कहानी।
आपको कैसी लगी, अपने प्यारे कमेंट मुझे ईमेल करें।

कोई ऐसी नहीं जो तृप्त ना हुई हो (Koi Aisi Nahi Jo Tript Na Hui Ho)


मैं कमल.. नैनीताल का रहने वाला हूँ.. दिल्ली में एक कॉल सेंटर में जॉब करता था.. मैं वहाँ एक टीम लीडर था, वहाँ मेरी एक सीनियर थी।
एक दिन मुझे और मेरी सीनियर जिसका नाम पूजा दलाल था.. दोनों को थोड़ा सा काम था। तो हम वहीं ऑफिस में रुक गए.. उस दिन पूरे ऑफिस में और कोई नहीं था। यूँ ही बातों-बातों में मेरी और उसकी सेक्स के टॉपिक पर बात होने लगी।
उसने मुझसे पूछा- तुमने किसी के साथ सेक्स किया है?
तो मैंने कहा- हाँ.. मैं कई लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका हूँ.. लेकिन तुम क्यों ऐसे पूछ रही हो?
उसने कहा- मुझे नहीं लगता कि कोई लड़का किसी लड़की की पूर्ण रूप से प्यास बुझा सकता है..
तो मैंने जरा शब्दों को खोलते हुए कहा- ऐसा नहीं है.. आज तक मुझे कोई ऐसी लड़की नहीं मिली.. जो मेरे लण्ड से तृप्त ना हुई हो..
तो उसने भी बिंदास कहा- ठीक है तुम्हें कभी ट्राई करूँगी..
अब मैंने खुल कर कहा- तुम्हारा जब भी मन हो.. तो आ जाना.. मेरे पास लड़कियों को चोदने के लिए हमेशा वक्त रहता है।
वो मुस्कुरा दी..
फिर मैं अपने कमरे पर आ गया।
मैं बता दूँ कि यहाँ मैं अपने घर से बाहर हूँ.. तो मैं एक कमरा किराए से ले कर अकेले रहता हूँ।
फिर मुझे उसी दिन शाम को उसका कॉल आया। उसने सीधे और सपाट कहा- मुझे अपने लण्ड का मज़ा कहाँ दोगे?
मैंने कहा- जहाँ आप अपनी चूत का मजा मुझे देना चाहें।
उसने कहा- ठीक है.. मैं तुम्हारे कमरे पर आ जाऊँ.. कोई दिक्कत तो नहीं होगी?
मैंने कहा- नहीं डार्लिंग.. कोई दिक्कत नहीं होगी.. तुम आ जाओ..
फिर वो आधे घंटे पर मुझे पास के चौराहे पर मिली.. मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया.. वो कुछ ज़्यादा ही मस्ती में लग रही थी। क्योंकि वो काफ़ी सट कर बैठी थी और अपनी चूचियाँ मेरी पीठ पर लगा कर रगड़ रही थी।
मैं उसे अपने फ्लैट पर लेकर गया। जैसे ही हम वहाँ पहुँचे.. वो एकदम से अपना पर्स फेंक कर मुझसे लिपट गई और मेरे कपड़े उतारने लगी।
मैंने कहा- ऐसे नहीं रानी.. आराम से करेंगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा।
फिर मैंने सबसे पहले उसे उसके कपड़ों के ऊपर से ही कस के रगड़ा.. कस कर उसकी चूचियाँ दबाईं.. उसके चूतड़ों को सहलाया.. फिर उसके रसीले होंठों का मज़ा लेना शुरू किया।
करीब 30 मिनट तक यही सब करते हुए मैंने उसका टॉप उतार दिया। उसकी चूचियां ब्रा के अन्दर से ही झाँकने लगी थीं। कसम से वो उस टाइम पर बड़ी सेक्सी लग रही थी।
फिर मैंने उसके गले पर और ब्रा के ऊपर से जितना खुला हुआ अंग दिख रहा था.. उसे कस कर चूसा.. खूब रगड़ा.. अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। फिर क्या था.. उसकी मस्त बड़ी-बड़ी चूचियां फुदकने लगी थीं।
मैंने पहले उसकी दोनों चूचियों को पकड़-पकड़ कर कसके दबाया.. फिर बारी-बारी से अपने मुँह में लेकर कसके चूसना शुरू किया।
पूजा की साँसें तेज हो चुकी थीं.. उसके मुँह से मस्त-मस्त कामुक आवाजें निकलने लगी थीं.. जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं।
फिर मैंने अपने एक हाथ से उसकी जींस उतार दी और पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत दबाने लगा। उसकी चूत एकदम गीली हो चुकी थी। मैंने फिर उसकी पैन्टी भी उतार दी और धीरे-धीरे उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।
मेरे ऐसा करने से वो और भी मदहोश हो गई और ज़ोर-ज़ोर से ‘आँहें भरने लगी।
मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाल दी.. उसकी चूत एकदम कुँवारी थी.. फिर क्या था.. मैंने कस-कस के अपनी उंगली से उसकी चूत के अन्दर मालिश करना शुरू कर दी, वो और भी मदहोश हो गई।
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे.. जैसे ही मैंने अपना 9 इंच का लण्ड निकाला उसने उसे पकड़ लिया और बोलने लगी- हाए राजा.. तुम्हारा लण्ड तो बड़ा मस्त है.. एक बार इससे मेरी चूत की आग शांत कर दो… ओह्ह.. राजा जी कम ऑन..
मैंने उससे अपना लण्ड चूसने के लिए कहा..
उसने एक बार में ही मेरा आधा लण्ड मुँह में ले लिया और ज़्यादा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.. पर लण्ड बड़ा होने के कारण वो अपने मुँह में पूरा लण्ड नहीं ले सकी।
वो मस्ती से मेरा लण्ड चूसती रही.. फिर मैंने उसे उठा कर उसकी चूत पर अपने होंठ टिका दिए।
उसके मुँह से सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी। फिर मैंने उसकी मक्खन जैसी चूत को रगड़-रगड़ कर चूसा.. वो बोली- अब बस करो मेरे राजा जी.. नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी और तुम्हारा लण्ड घुसवाने का मज़ा फीका हो जाएगा।
मैं नहीं माना और उसकी चूत चाट-चाट कर उसे झड़वा दिया। जब वो झड़ गई.. तो मैंने उससे कहा- तू तो बड़ी-बड़ी बातें कर रही थी कि कोई भी लड़का लड़की की प्यास नहीं बुझा सकता.. पर तुम तो मैदान ही छोड़ कर भाग निकली।
वो शर्मा गई.. पर मेरे लण्ड की प्यास अभी अधूरी थी। मैंने फिर से उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया और धीरे-धीरे उसे भी जोश आने लगा।
फिर मैंने दुबारा उसकी चूत को चाटना शुरू किया.. वो फिर पूरी मस्ती में आ गई।
इस बार मैंने देर नहीं की और उसकी टाँगें अपनी कमर पर रख कर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया और एक ज़ोर का धक्का मार दिया। मेरा एक चौथाई लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
लण्ड मोटा होने के कारण उसे तकलीफ़ हो रही थी.. लेकिन उसे लण्ड की चाह इतनी थी कि दर्द के बावजूद वो सिसकारियाँ लेते हुए कहे जा रही थी- आअहह.. मेरे राजा जीइईई.. मज्ज़जाआ.. आयाया रहा.. हैहाईईईई.. और लण्ड पेलो ना.. अपनी रानी की चूत में.. फाड़ डालो साली को.. बड़ा फुदकती है.. जल्दी से लण्ड अन्दर करो नाआ.. मेरे राज्ज्जजाआअ..
मैंने एक जोरदार धक्का दिया और मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत को फाड़ते हुए घुस गया। वो दर्द से कराह उठी.. पर मैं रुका नहीं और ताबड़तोड़ धक्के लगाते हुए.. धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।
कुछ धक्के लगते ही वो चिल्लाने लगी प्लीज़ रुक जाओ.. बहुत दर्द हो रहा है..
मैं थोड़ा सा रुका.. फिर थोड़ी देर बाद मैंने धीरे-धीरे लण्ड रगड़ना शुरू किया। अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाने को कहने लगी- चोदो और ज़ोर से चोदो.. नाआआआ.. आइए हाए.. मज़ा आ रहा है.. हाए रे चूत तो फट गई.. उईए माआआअ.. घुस गया पूरा लण्ड.. मेरी चूत में… हाए राजा.. चोदो ना चूत.. फाड़ कर भोसड़ा बना दो आज..
मैं लगातार अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और वो भी नीचे से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर मेरा पूरा साथ दे रही थी।
जब उसका झड़ने का टाइम आया.. तो उसने अपनी गाण्ड उछालना तेज कर दिया.. फिर एकदम से शांत हो गई।
मैंने भी उसे शांत होते देख अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और झड़ कर ही शांत हुआ।
इस तरह से मैंने उसे लगातार तीन दिनों तक जम कर चोदा।
मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ईमेल करें।

तलाकशुदा आरती की चूत चुदाई (Talak-Shuda Arti Ki Chut Chudai)


मेरी उम्र 25 साल है। मैं एथलेटिक बॉडी का हूँ.. मतलब स्लिम और स्मार्ट बन्दा हूँ। मेरे लंड का साईज मेरे अंतरवासना के दोस्तों जितना ही है।
बात एक साल पहले की है.. जब मैं एक नौकरी की तलाश में चंडीगढ़ गया था.. वहाँ मेरा दोस्त रहता है। वह एक कम्पनी में जॉब करता है। उसने मुझे भी उसी कम्पनी में जॉब दिलवा दी।
अभी मुश्किल से मुझे 18 दिन ही हुए थे कि हमारे ही दफ्तर में एक नई लड़की आई। नाम आरती था (बदला हुआ नाम) वो बहुत सीधी सी दिखने वाली लड़की थी।
वो गेहुएं रंग की तीखे नयनों वाली एक माल किस्म की लड़की थी.. उसके बड़े-बड़े मम्मे थे.. बड़े से मतलब करीब 34 इंच नाप के मम्मे रहे होंगे। उसकी कमर 30 इंच की और गांड की चौड़ाई करीब 36 इंच थी।
उसको मेरे पास वाली ही टेबल मिली.. तो मेरी उससे बातचीत भी जल्दी ही शुरू हो गई।
मैं काम में उसकी मदद करने लगा। मुझे वो अच्छी लगने लगी। वो एक मुक्कमल धांसू माल थी.. इसलिए मैं कभी-कभी उसके नाम की मुठ्ठ मारने लगा।
एक दिन उसने जो मुझे बताया मुझे विश्वास नहीं हुआ। उसी के शब्दों में लिख रहा हूँ।
वो- मनु तुमसे मुझे एक बात कहनी है।
मैं- कहो..
वो- मैं एक तलाकशुदा लड़की हूँ।
मैं एकदम से सनाका खा गया.. क्योंकि उसे देख कर यह बिलकुल भी नहीं लगता था कि उस जैसी लड़की शादी भी हुई होगी।
फिर उसने अपनी पूरी कहानी बताई। वो रोने लगी तो मैंने उसके कंधे को सहलाया.. उसे शायद अच्छा लगा।
खैर.. बात आई गई हो गई.. पर हम अब बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे।
एक रविवार उसने मुझे फोन करके कहा कि मैं उसके कमरे पर आ जाऊँ।
वो बहुत परेशान से लग रही थी। वो एक किराये के कमरे में रहती थी। मैं 11 बजे उसके यहाँ पहुँचा.. उसने दरवाजा खोला तो मैं सन्न रह गया.. क्या लग रही थी.. मन किया बस पकड़ लूँ।
शायद उसने यह भांप लिया था.. तो वह मुसकुरा उठी।
मैं अन्दर जा कर कुरसी पर बैठ गया।
करीब 5 मिनट बाद वो चाय लेकर आई और मेरे सामने बैठ गई।
वो- मनु..!
मैं- हाँ कहो।
वो- आई लव यू..
मैं तो मन ही मन खिल गया कि आज मेरे लंड को हाथ के अलावा कुछ और मिलेगा।
मैं- आई लव यू टू.. आरती।
उसने मुझे गले लगा लिया, उसके मम्मे मुझसे चिपके हुए थे.. तो लंड ने सलाम बोल दिया.. जो उसने महसूस कर लिया था।
हम एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे तो मेरा हाथ अपने आप ही उसके मम्मों पर चला गया।
मैं मम्मे दबाने लगा.. वो ‘आहें’ भरने लगी और गरम होने लगी।
मैंने उसे गोद में उठाया और पलंग पर ले गया।
मैंने अपनी शर्ट निकाल दी। उसने भी छुट्टी के कारण लोअर और टी शर्ट पहनी हुई थी.. तो मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल कर दूर फेंक दी।
नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी थी। उसकी आंखें बंद थीं.. तो मैं उसके मस्त और रसीले मम्मों पर टूट पड़ा।
कुछ ही पलों में वो एकदम गरम हो चुकी थी।
वो- मनु पलीज़ अब और मत तड़पाओ!
मैंने उसे पूरा नंगा किया और खुद भी हो गया।
मुझे चूत चाटना पसंद है तो मैं चूत की तरफ बढ़ा.. मैं चूत देख कर पागल हो गया.. एकदम साफ चूत.. कोई बाल नहीं था।

ऑफिस में मैनेजर ने की मेरी गाण्ड ठुकाई (Office Me Manager Ne Ki Meri Gand Thukai)


मैं अंधेरी के जिस हास्पिटल में काम करती थी.. उसके मैनेजर का नाम था दिलीप शर्मा.. वो एक मिलिट्री का रिटायर्ड फौजी था, मस्त खाता- पीता इंसान था और प्रत्येक रात को किसी न किसी नर्स को गोद में लेकर सोता था। मेरी भी दिली ख्वाइश थी कि मैं भी एक बार उसके नीचे बिछ जाऊँ और मैंने उसके लण्ड की जो तारीफ सुनी है.. उसके दीदार करूँ।
लेकिन वो साला मुझे भाव नहीं देता था।
एक दिन की बात है.. मैं थोड़ी परेशान थी। पैसेज में से जा रही थी.. अचानक सामने से शर्माजी आते हुए दिखे। मेरे जेहन में एक विचार आया कि चलो आज इनको बुला ही लेते हैं.. देखें तो लड़कियाँ इनके नीचे सोने के लिए इतनी लालायित क्यों रहती हैं।
मैं थोड़ा रुक गई और उनकी पैन्ट की जिप की तरफ देखने लगी, वह कुछ उभरा-उभरा सा लग रहा था, अभी-अभी शायद प्रभा की चूत मार के आ रहा था।
प्रभा थी भी बड़ी सेक्सी लड़की… बहुत बड़ी चुदक्कड़ थी साली… चुदने के मामले में एक नंबर की चुदैल थी। किसी भी आसन से चोदो.. हमेशा तैयार रहती थी। चूत.. गाण्ड.. मुँह.. कुछ भी चोद लो.. उसे कुछ भी चलता था।
कई बार तो तीन-तीन को एक साथ ले लेती थी, ग्रुप सेक्स में उसका बड़ा इंट्रेस्ट था। वो खुद ही कहती थी कि तीन जब एकदम ऊपर चढ़ते हैं ना.. तो सारी खुजली एकदम मिट जाती है।
आज तो मेरी चांदी थी, शर्माजी सीधे मेरी तरफ ही देख रहे थे, मेरा पल्लू मेरे कंधे पर रुकने को तैयार ही नहीं था, मेरे दो कबूतर जैसे मसले जाने के लिए लालायित थे। नीचे का चीरा लगा पाव जैसे खोदे जाने के लिए उत्सुक था।
‘क्यों रे रानी.. आज कोई काम नहीं है क्या..?’ शर्माजी ने पूछा।
‘हाँ.. बस जा रही हूँ.. आज थोड़ी लेट हो गई।’
‘क्यों कहाँ गई थी?’
‘मेरी मौसी के यहाँ..’
‘अच्छा फिर..??’
मैं मन ही मन सोचने लगी कि कह दूँ कि मौसी के यहाँ से तुझसे चुदने के आ गई हूँ.. पर नहीं बोल सकी।
शर्माजी ने मेरी तरफ देखा और एक आँख थोड़ी दबाकर बोले- मेरे केबिन में चलो.. थोड़ा ‘काम’ है तुमसे..।
मैं समझ गई कि शर्मा आज मेरा नंबर लगाने वाला है। हाय… आज तो मेरी चूत की लॉटरी लगने वाली थी। शर्माजी ने कह कर मेरा हौसला और भी बढ़ा दिया था।
मैं झटपट बाथरूम में घुसी ‘हाँ बस अभी आती हूँ.. बाथरूम जाकर..’ यह कहकर मैं बाथरूम भागी।
वहाँ अपनी पैंटी निकाल कर मैंने मेरी नीचे की धोई, साबुन लगाकर मैंने उसे साफ़ किया, मेरे पास लेडीज रेजर था.. मैंने झांटों पर रेजर फिराया। पावडर वगैरह लगाकर मैंने चेहरा दर्शनीय बनाया। ब्रा उतार कर मैंने अपने पर्स में रख दी.. ताकि मेरे चूचों को दबाते समय शर्माजी को तकलीफ ना हो।
अपनी कमर लचकाती हुए मैं शर्माजी के केबिन की तरफ जाने लगी। बीच में मुझे प्रभा मिली.. उसने मेरी तरफ देखा तो उसे खुद ही पता चल गया कि आज अब मेरी बारी है।
‘बेस्ट ऑफ़ लक’ कह कर वह हँसते हुए चली गई।
मेरी चूत में आज बड़ी खुजली हो रही थी। चूत पनिया जाना कैसे होता है.. ये मुझे आज मालूम पड़ रहा था।
शर्माजी के कमरे की तरफ जाते हुए मेरी चूत में खलबली मची हुई थी।
क्या करेगा आज वो?
क्या सीधे-सीधे मुझे चोदेगा या फिर मेरी ऐसी की तैसी करेगा?
उसका लण्ड कैसा होगा?
क्या मेरी भूख को शांत कर पाएगा?
सवालों पर सवाल मेरे मन में घुमड़ते जा रहे थे।
अब तक आपने पढ़ा..
शर्मा बोला- साली छिनाल.. रांड.. लौड़े का माल.. चल तेरी गाण्ड और चूत एक साथ ही मारूँगा।
मेरी समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये दोनों एकदम कैसे मारेगा?
‘कैसे?’ मैंने पूछा..
तो वो हँस दिया- देख मेरे लण्ड का जादू..
अब आगे..
उसने इतना कह कर अपनी दराज से एक पांच इंच लम्बा और करीब डेढ़ इंच चौड़ा डिल्डो निकाला- अब इससे मैं तेरी गाण्ड मारूँगा और मेरा लण्ड तेरी चूत की बखिया उधेड़ेगा।
‘बाप रे.. मतलब एक साथ दोनों छेद खोदेगा..?’
‘हाँ साली.. तेरी पूरी भूख मिटाता हूँ आज।’
आज मेरी चूत की बखिया उधड़ने वाली थी… हाय क्या सीन था.. साला पूरा चुदक्कड़ था और चूत का भूखा था।
‘साले चुदक्कड़ तेरा लण्ड हारता है या मेरी चूत.. ये आज मुझे देखना है।’ मैंने मन ही मन ये कहते हुए उसके लण्ड को मेरी तरफ खींचा.. मेरे खींचने से लण्ड ने चूत में लैंड किया तो सही.. लेकिन साले ने मेरी गाण्ड में वो डिल्डो पेल दिया।
‘हाय मर गई रे मादरचोद.. गाण्ड फाड़ दी मेरी..’
ऐसा कहते हुए मैंने मेरी गाण्ड हिलाना शुरू किया।
‘आह.. इस्स्स्स स्स्स्स.. मर गई.. निकाल निकाल.. फाड़ डाला रे.. मेरी गाण्ड.. गई.. बाप रे..’ मेरी आँखों में आँसू आ गए.. लेकिन वो कमीना नहीं रुका, बस अन्दर डालते ही जा रहा था।
मेरे दोनों छेदों में जैसे अंगारे भर दिए थे उसने। मेरी चूत कसमसा रही थी.. गाण्ड परपरा रही थी.. ‘बस.. बस.. अब घुसा साले.. तेरे में कितनी ताकत है.. उतनी अन्दर डाल कमीने।’
मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
फिर तो क्या था.. उसने कोई सुस्ती नहीं की.. न अपने लण्ड को रोका न डिल्डो ने कोई आराम किया, मेरी गाण्ड को डिल्डो ने और लण्ड ने चूत को.. दोनों का एकसाथ जम कर बाजा बजाया।
गेम पूरा होने के बाद मैंने शर्माजी की तरफ मुस्कुराते हुए देखकर कहा- क्या बात है शर्माजी.. आज तक मेरे दोनों छेदों का इतना खूबसूरत यूज किसी ने नहीं किया.. आप तो माहिर खिलाड़ी निकले।
‘अरे हाँ.. मेरी चुदक्कड़ रानी.. तेरी चूत बजाने में बड़ा मजा आया साली.. तू बड़ी सेक्सी रांड है.. मेरी प्रभा ने तो हर तरफ से चुदाई करवाई है.. साली एक बार तीन तीन डॉक्टरों से चुदवाई थी एक साथ..
‘अरे कैसे.. एक साथ तीन से..?’
‘हाँ.. एक गाण्ड मार रहा था.. दूसरा चूत में लण्ड डाले हुए था.. तो तीसरे ने उसके मुँह को चोदना शुरू किया था और ये सब एक ही समय में चालू था।
‘आपको कैसे पता?’ मैंने शर्माजी से पूछा.. तो उसने कहा- उनमें से एक तो मैं था ना..
अब मैं भी तैयार थी ऐसे किसी तीन से चुदने के लिए। क्या मजा आता होगा जब औरत तीन छेदों में एक साथ चुदती होगी?
मैंने शर्माजी से कहा- यार, मैं भी इस तरह से चुदना चाहती हूँ.. क्या आप कोई इंतजाम करा सकते हैं?
‘वाह.. वाह.. क्या बात है.. इस रविवार तुम और प्रभा और तुम दोनों को भी हम तीनों मिलकर चोदेंगे।’
‘वाह क्या बात है.. अँधा क्या मांगे.. एक आँख.. यहाँ तो तीन-तीन लण्ड मिल रहे थे। वो भी साली चुदक्कड़ प्रभा के साथ चुदाना था।
दो तीन का ये कॉम्बिनेशन बड़ा अच्छा था। मैं सारे छेदों में गर्रा चलवाने के लिए बिल्कुल तैयार थी।
तीसरे दिन जैसे ही मैंने हाँस्पिटल में एंटर किया.. प्रभा मेरी तरफ देख के मुस्कुराई। मुझे समझ में आ गया कि शर्मा ने अपना लण्ड प्रभा की चूत में डालते हुए उसको मेरे चुदने के बारे में सब बता दिया।

रिसेप्शनिस्ट की कुंवारी चूत का भेदन







दोस्तो.. मेरा नाम रणदीप शर्मा है.. मैं मेहसाणा से हूँ जो कि अहमदाबाद से 75 किमी दूर है। मेरी हाइट 5.6 फुट है और लंड का साइज 5’5″ है। माफ़ करना साथियों.. मेरा लण्ड औरों की तरह 8 या 9 इंच का नहीं है.. जिनका है उनको बधाई और उनसे लड़कियों के गर्भाशय को नुकसान न पहुँचाने के लिए प्रार्थना है..
खैर.. मैं वेल सैट हूँ.. शादीशुदा हूँ.. दो बच्चे हैं.. बीवी उनमें मस्त रहती है.. मैं भी ऑफिस के काम में बिजी रहता हूँ। मेरी ज्यादातर ट्रेवलिंग अहमदाबाद.. गांधीनगर की ही रहती है। कभी-कभी और अन्य शहरों.. जैसे दिल्ली, बॉम्बे या चेन्नई भी जाना पड़ता है।
शादी से पहले और शादी के बाद भी मेरे शारीरिक संबंध लड़कियों और भाभियों के साथ रहे हैं और भी नई हसीनाओं के साथ शारीरिक संबध बनाने के लिए उत्सुक भी हूँ.. आशा रखता हूँ कि मेरी कहानी पढ़कर लड़कियों या भाभियों की चूत गीली हो जाए।
शारीरिक संबध के साथ-साथ अगर मेरी पार्टनर चाहती.. तो हम लॉन्ग ड्राइव.. मॉल.. सिनेमा आदि जगहों पर चले जाते थे।
मैं मानता हूँ कि शुरूआत जो है वो एक-दूसरे को जान-समझ कर.. थोड़ा घूम- फिर कर.. करनी चाहिए। यह बात मेरे लड़कियों के साथ रहे अनुभव के आधार पर बता रहा हूँ। वर्ना हम मर्दों के साथ क्या है.. जब चाहो हम तो चढ़ने को तैयार रहते ही हैं।
खैर.. बहुत बातें हो गईं.. अब सीधे कहानी की ओर चलते हैं।
मेरे ऑफिस में एक लड़की काम करती थी.. उसका नाम था रिया। वो रिसेप्शनिस्ट थी.. उससे पहले की सारी रिसेप्शनिस्ट के साथ.. सिर्फ एक को छोड़ कर मेरे शारीरिक सम्बंध रहे हैं, वे सभी आज भी मेरी अच्छी दोस्त भी हैं। एक के साथ अभी भी शारीरिक सम्बन्ध हैं.. वो अभी जयपुर में है अगर मेरा उधर जाना होता है या वो यहाँ आती है तो कभी सिर्फ कॉफ़ी.. तो कभी काफ़ी.. मतलब आप समझ गए होंगे.. हो जाता है।
तो रिया का गोरा बदन.. काली और बड़ी आँखें.. हँसता हुआ चेहरा.. साइज 32डी-25-35 का जो कपड़े उतारने के बाद में पता चला था।
रिया ऑफिस में सबकी चहेती थी, मेरी भी.. क्योंकि काम उसका अच्छा था।
हम दोनों के बीच अक्सर बातें होती रहती थीं, उसे कोई चीज़ फ़ाइल या कंप्यूटर में समझ में ना आए.. तो मुझसे सीख लेती थी.. पर इससे पहले की लड़कियों की तरह सिग्नल नहीं मिल रहा था।
एक दिन मैंने देखा कि वो पेंट्री में रो रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- कुछ नहीं..
मैंने कहा- भूल जाओ कि मैं तुम्हारा बॉस हूँ.. अगर तुम मुझे अपना दोस्त समझ कर बताना चाहो.. तो बता सकती हो.. आगे तुम्हारी मर्जी.. मैं तुमसे दुबारा नहीं पूछूंगा।
तो उसने अपने प्यार के बारे में बताया.. मैंने शांति से सुन लिया, वो जिससे प्यार करती थी.. उसने किसी और से शादी कर ली।
मैंने उसे समझाया कि प्यार नहीं होता है यह सिर्फ विजातीय लिंग का आकर्षण होता है। तुम्हें ये सब छोड़ कर अपने कैरियर पर ध्यान देना चाहिए।
फिर वो काम में लग गई.. पर मैंने देखा उसकी हँसी चली गई थी।
एक दिन मैंने उससे साथ में लंच के लिए पूछा.. पर वो कुछ बोली नहीं।
फिर दो दिन बाद उसने सामने से लंच के लिए पूछा।
मैंने कहा- चलो..
वो बोली- ऐसे-कैसे.. कोई देख लेगा तो..
अब उसे कैसे समझाऊँ कि तेरे से ज्यादा मुझे इस बात की चिंता रहती है।
मैं उसे लंच के लिए मेहसाणा से दूर एक बढ़िया होटल में ले गया। वहाँ हमने लंच किया.. ढेर सारी बातें की.. फिर आइसक्रीम खाई और वापिस आ गए।
अब उसके चेहरे पर पहले वाली मुस्कान लौट आई थी।