रिसेप्शनिस्ट की कुंवारी चूत का भेदन







दोस्तो.. मेरा नाम रणदीप शर्मा है.. मैं मेहसाणा से हूँ जो कि अहमदाबाद से 75 किमी दूर है। मेरी हाइट 5.6 फुट है और लंड का साइज 5’5″ है। माफ़ करना साथियों.. मेरा लण्ड औरों की तरह 8 या 9 इंच का नहीं है.. जिनका है उनको बधाई और उनसे लड़कियों के गर्भाशय को नुकसान न पहुँचाने के लिए प्रार्थना है..
खैर.. मैं वेल सैट हूँ.. शादीशुदा हूँ.. दो बच्चे हैं.. बीवी उनमें मस्त रहती है.. मैं भी ऑफिस के काम में बिजी रहता हूँ। मेरी ज्यादातर ट्रेवलिंग अहमदाबाद.. गांधीनगर की ही रहती है। कभी-कभी और अन्य शहरों.. जैसे दिल्ली, बॉम्बे या चेन्नई भी जाना पड़ता है।
शादी से पहले और शादी के बाद भी मेरे शारीरिक संबंध लड़कियों और भाभियों के साथ रहे हैं और भी नई हसीनाओं के साथ शारीरिक संबध बनाने के लिए उत्सुक भी हूँ.. आशा रखता हूँ कि मेरी कहानी पढ़कर लड़कियों या भाभियों की चूत गीली हो जाए।
शारीरिक संबध के साथ-साथ अगर मेरी पार्टनर चाहती.. तो हम लॉन्ग ड्राइव.. मॉल.. सिनेमा आदि जगहों पर चले जाते थे।
मैं मानता हूँ कि शुरूआत जो है वो एक-दूसरे को जान-समझ कर.. थोड़ा घूम- फिर कर.. करनी चाहिए। यह बात मेरे लड़कियों के साथ रहे अनुभव के आधार पर बता रहा हूँ। वर्ना हम मर्दों के साथ क्या है.. जब चाहो हम तो चढ़ने को तैयार रहते ही हैं।
खैर.. बहुत बातें हो गईं.. अब सीधे कहानी की ओर चलते हैं।
मेरे ऑफिस में एक लड़की काम करती थी.. उसका नाम था रिया। वो रिसेप्शनिस्ट थी.. उससे पहले की सारी रिसेप्शनिस्ट के साथ.. सिर्फ एक को छोड़ कर मेरे शारीरिक सम्बंध रहे हैं, वे सभी आज भी मेरी अच्छी दोस्त भी हैं। एक के साथ अभी भी शारीरिक सम्बन्ध हैं.. वो अभी जयपुर में है अगर मेरा उधर जाना होता है या वो यहाँ आती है तो कभी सिर्फ कॉफ़ी.. तो कभी काफ़ी.. मतलब आप समझ गए होंगे.. हो जाता है।
तो रिया का गोरा बदन.. काली और बड़ी आँखें.. हँसता हुआ चेहरा.. साइज 32डी-25-35 का जो कपड़े उतारने के बाद में पता चला था।
रिया ऑफिस में सबकी चहेती थी, मेरी भी.. क्योंकि काम उसका अच्छा था।
हम दोनों के बीच अक्सर बातें होती रहती थीं, उसे कोई चीज़ फ़ाइल या कंप्यूटर में समझ में ना आए.. तो मुझसे सीख लेती थी.. पर इससे पहले की लड़कियों की तरह सिग्नल नहीं मिल रहा था।
एक दिन मैंने देखा कि वो पेंट्री में रो रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- कुछ नहीं..
मैंने कहा- भूल जाओ कि मैं तुम्हारा बॉस हूँ.. अगर तुम मुझे अपना दोस्त समझ कर बताना चाहो.. तो बता सकती हो.. आगे तुम्हारी मर्जी.. मैं तुमसे दुबारा नहीं पूछूंगा।
तो उसने अपने प्यार के बारे में बताया.. मैंने शांति से सुन लिया, वो जिससे प्यार करती थी.. उसने किसी और से शादी कर ली।
मैंने उसे समझाया कि प्यार नहीं होता है यह सिर्फ विजातीय लिंग का आकर्षण होता है। तुम्हें ये सब छोड़ कर अपने कैरियर पर ध्यान देना चाहिए।
फिर वो काम में लग गई.. पर मैंने देखा उसकी हँसी चली गई थी।
एक दिन मैंने उससे साथ में लंच के लिए पूछा.. पर वो कुछ बोली नहीं।
फिर दो दिन बाद उसने सामने से लंच के लिए पूछा।
मैंने कहा- चलो..
वो बोली- ऐसे-कैसे.. कोई देख लेगा तो..
अब उसे कैसे समझाऊँ कि तेरे से ज्यादा मुझे इस बात की चिंता रहती है।
मैं उसे लंच के लिए मेहसाणा से दूर एक बढ़िया होटल में ले गया। वहाँ हमने लंच किया.. ढेर सारी बातें की.. फिर आइसक्रीम खाई और वापिस आ गए।
अब उसके चेहरे पर पहले वाली मुस्कान लौट आई थी।


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